Friday, 8 January 2021

प्रश्न - आनन्द कब व कहाँ मिलता है?

 प्रश्न - आनन्द कब व कहाँ मिलता है?

उत्तर - आनन्द अभी इस पल में शरीर से उपस्थित मन से उपलब्ध व भावना से वर्तमान के इस पल से जुड़ने पर मिलता है। स्वयं के अस्तित्व के अनुभूति में मिलता है। आनन्द भीतर है, वह बाहर नहीं मिलता है।


समस्या यह है कि मन या तो भूतकाल में भटकता है, या भविष्य की चिंता में रत रहता है। भूत व भविष्य में विचरने के चक्कर में वर्तमान में नहीं रह पाता व आंनद से वंचित हो जाता है। स्वयं से दूर भागता है, संसार की अनुभूति करता है। सुविधाओं को अनुभव करता है। 


नारियल का जल व मिठास भीतर है, बाहर नहीं। उसी तरह आत्मा का आनन्द भीतर है, बाहर नहीं है।


बस मनुष्य स्वयं को अनुभव नहीं करता व वर्तमान पल में नहीं रह पाता। इसलिए आनन्द के अभाव में अशांत रहता है।


ध्यान मात्र चेतना को वर्तमान पल में स्थित रखती है। अंतर्जगत में प्रवेश करा कर स्वयं के अस्तित्व की अनुभूति कराता है।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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