Wednesday 6 January 2021

प्रश्न - *मै आर्य समाज के नियमो पर चलता हूं और मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता तो क्या मै गायत्री साधना कर सकता हूं।*

 प्रश्न - *मै आर्य समाज के नियमो पर चलता हूं और मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता तो क्या मै गायत्री साधना कर सकता हूं।*


उत्तर- स्वामी दयानंद सरस्वती को मूर्ति पूजन व कर्मकांड में उलझे लोगों को व अध्यात्म के मर्म को भूले लोगों को सन्मार्ग में लाने हेतु मूर्ति पूजा का खंडन करना पड़ा।


मां की तस्वीर या पूर्वजों की तस्वीर बिना दीवार पर टांगे भी उन्हें याद किया जा सकता है। लेक़िन यदि तस्वीर सामने हो तो उन्हें याद करना और उनका ध्यान करना आसान हो जाता है।


गायत्री साधना बिना मूर्ति व तस्वीर के निराकार गायत्री - सविता सूर्य के उदीयमान प्रकाशित आभा को ध्यान करते हुए किया जा सकता है। 


साथ ही जो गायत्री की तस्वीर माता के रूप में रखकर ध्यान करते हुए करना चाहें वह भी गायत्री साधना सुगमता से कर सकते हैं।


भगवान भाव से जुड़ता है, श्रद्धा व विश्वास रूप ही प्रार्थना में असर दिखाता है।


भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। 


श्रद्धा व विश्वास ही शंकर व पार्वती के रूप हैं।


त्वमेव माता च पिता त्वमेव,

त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव

त्वमेव विद्या द्रविड़म त्वमेव,

त्वमेव सर्वम् मम् देव देव।।


भगवान को जिस भाव से भजो वही रूप में वह मिलेंगे।


साकार व निराकार जैसा चाहो वैसा जपो।


जो कण कण में है, तो क्या वह मूर्ति की मिट्टी के कण में न होगा? क्या वह तस्वीर के कागज के कण में न होगा?


गायत्रीमंत्र जप तुम अपने भीतर मन मन्दिर में बसे भगवान को ध्यान करते हुए भी जप सकते हो।


जप ऊनि वस्त्र या कुश का आसन में बैठकर व कलश में जल भरकर व प्रज्ववलित दीपक की उपस्थिति में करना श्रेयस्कर होता है। जप के पश्चात जल को सूर्य को अर्घ्य दे दें या तुलसी के पौधे में अर्पित कर दें।


जप से पूर्व आह्वाहन हृदय से करें, व जप के पश्चात विसर्जन मन्त्र बोलकर शांति पाठ करके उठें।


माला लेकर जप नहाने के पश्चात ही करें।मौन मानसिक जप व मन्त्रलेखन बिना नहाए हाथ पैर धोकर किया जा सकता है।


जितनी उम्र है उतने मिनट ध्यान अवश्य करें। जितनी उम्र है उतनी बार अनुलोम विलोम प्राणायाम भी अवश्य करें।


तुम बीज रूप में परमात्मा का ही अंश हो, गायत्री मंत्र जप से तुम्हारे भीतर विद्यमान शक्ति ही बाहर आएंगी। तुम ब्रह्म हो जो उस परम् ब्रह्म का अंश है। इसमें संदेह नहीं है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि तुमने किस गुरु से दीक्षा ली है, या किस जाति सम्प्रदाय में जन्में हो। गायत्रीमंत्र जप औषधि की तरह सभी जाति सम्प्रदाय के व्यक्ति के जपने पर समान रूप से असरकारी है। इसके कुछ स्थूल अच्छे प्रभावों को मेडिकली भी चेक कर सकते हैं - जप से पूर्व ब्रेन का EEG, NMR इत्यादि करवा लें। हार्मोनल टेस्ट, ब्लडप्रेशर टेस्ट इत्यादि करवा लें। IQ टेस्ट करवा लें।  छः मास तक ब्रह्मुहुर्त में श्रद्धा विश्वास के साथ नित्य 324 मन्त्र (तीन माला) जप लें। पुनः छः मास के बाद टेस्ट करवा लें। रिजल्ट स्वयं जांच लीजिये। बुद्धिकुशलता गायत्रीमंत्र जप से बढ़ती है यह प्रूवन है। 


सूक्ष्म उपलब्धियां तो अनन्त है, इसे स्थूल मशीन से चेक नहीं किया जा सकता। किंतु यह तो जिसने पाया है वह मात्र अनुभव से ही बता सकता है।


आपका कल्याण हो।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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