Thursday, 14 January 2021

किसी मैनेजर या सहकर्मी ने बेवजह आपकी छोटी गलतियों को बड़ा बताते हुए ईमेल किया है? क्या आपको गुस्सा आ रहा है?

 किसी मैनेजर या सहकर्मी ने बेवजह आपकी छोटी गलतियों को बड़ा बताते हुए ईमेल किया है? क्या आपको गुस्सा आ रहा है? 


जरा ठहरिए! तुरंत गुस्से में प्रतिउत्तर की ईमेल मत लिखिए।


किसी जगह बस बैठकर 5 बार गायत्री मंत्र पढ़िये एवं लंबी गहरी श्वांस लीजिये। चित्त शांत कर समस्या समझिये।


सोचिए.. आपका मैनेजर भी ऊपर से वैसा ही अपने मैनेजर से फीडबैक कठोर पा रहा है, वह भी व्यथित ही होगा/होगी। वह भी गुस्से में उबल रहा/रही है। यदि वह हमारी गलती छोटी हो या बड़ी इंगित ईमेल में कर रहे हैं तो उसे सकारात्मक तरीके से लें, उसे सुधारने में जुटें।


कीचड़ से कीचड़ नहीं धुलता है, इसी तरह कड़वी कठोर वचन युक्त ईमेल का प्रतिउत्तर उसी कठोर भाषा मे देना  समाधान नहीं हो सकता। हाँ युद्ध जरूर हो सकता है।


तो क्या करें, सोचें कि यह खेल का मैदान है। यहां प्रत्येक ईमेल बॉल है जो आपको आउट करने हेतु (आपको क्रोधित करने व कुछ गलत कदम उठाने  विवश करने हेतु) हो सकती है। अतः प्रत्येक बॉल को खेलना आपको आना चाहिए। आउट नहीं होना है, तो क्रोध नहीं करना है। शान्त चित्त व स्थिर रहना है।


शांति से बॉल को समझिए औऱ उस कठोरता को वरदान अपने लिये बनांकर उस पर चौके एवं छक्के लगाइए। 


विनम्रता व धैर्य से ईमेल का प्रतिउत्तर इस तरह लिखिए कि "सांप मरे लेकिन लाठी न टूटे"।


प्रत्येक व्यक्ति अपनी जॉब बचाने और प्रमोशन के लिए जॉब कर रहा है। प्रत्येक खिलाड़ी स्वयं जीतने के लिए खेलता है।


 अतः यह उलझन मन में मत लाइये कि अमुक मुझे समझता नहीं, वो तो मेरे पीछे ही पड़ा रहता है। उसे तो बस एक बहाना चाहिए मुझे कम्पनी से निकालने के लिए...


यहां कोई आपको समझने के लिए नहीं बैठा, कोई आपको ज्यादा छुट्टी फैमिली प्रॉब्लम के लिए नहीं देगा, क्योंकि सबको आपके कार्य से मतलब है। आपके कार्य से कम्पनी एवं मैनेजर को कितना फायदा है, उसे लोग समझना चाहेंगे।


यदि आप बैट्समैन हैं तो प्रत्येक बॉलर खेलभावना से आपको आउट करने के लिए ही बॉल डालेगा, रन तो आप अपनी कुशलता व योग्यता से बना रहे हैं। इसी तरह कॉरपोरेट के खेल में खतरनाक ब्लेम गेम की ईमेल आपको आउट करने के लिए ही लिखी गयी हैं। अब अपनी कुशलता का परिचय देते हुए रन बनाइये एवं मैच में टिके रहिये। कम्पनी में बने रहिये।


इस दुनियाँ में सब परेशान हैं, जैसे यदि  घर में गलती से टीवी के रिमोट में उल्टा सेल डल गया या कप से चाय झलक गयी तो माफी मांग लेने पर छोटे नहीं हो जाते। इसी तरह छोटी या बड़ी गलती पर मैनेजर के बताने पर माफी मांगने से आप छोटे नहीं हो जाएंगे। बस टेंशन खत्म हो जाएगी।


दूसरे ने गलत बॉल डाली इसलिए आउट हुए, ऐसा कहना छोड़ दीजिए। ब्लेम गेम छोड़िए।


अपितु कहिए, मुझे और मेहनत करनी है कि किसी भी बॉल पर रन बना सकूँ। यदि आउट हुआ तो मेरी गलती है। यदि किसी को मेरी गलती बताने का अवसर मिला तो यह मेरी भूल है। 


नाव को छोटा सा छेद भी डूबा सकता है, थोड़ी छोटी लापरवाही भी परेशानी में डाल सकती है। अतः छोटी गलतियां भी न हो, इसलिए सतर्क व चैतन्य रहें।


ज्यादा मेहनत करें, व ठंडे दिमाग से ईमेल के प्रतिउत्तर दें। फोन पर बात कर लें, यदि कोई शक हो। कभी कभी ईमेल में हम भाव नहीं समझ पाते। धैर्य के साथ फोन पर बात मामला सुलझा देता है।


जीवन के लिए जॉब कर रहे हैं, जॉब के लिए नहीं जी रहे हैं। जॉब की टेंशन से जीवन के आनन्द में व्यवधान मत डालिए।  कुशल खिलाड़ी बनिये, कॉरपोरेट के खेल का आनन्द लीजिये। एक मैच जीतने या एक मैच हारने से जीवन समाप्त नहीं होता। 


स्वयं की योग्यता बढाते रहें, स्वयं के जीवन की जिम्मेदारी स्वयं उठाते रहें।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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