Sunday, 21 February 2021

कविता --जंगल में भी मंगल मनाना आना चाहिए।

 बाजों के बीच तेज़ उड़ना आना चाहिए,

जंगल मे भी मंगल मनाना आना चाहिए,

जंगल में शेर व आकाश में बाज तो होंगे ही,

उनको भी हैंडल करना आना चाहिए,

जंगल में भी मंगल मनाना आना चाहिए।


समाज में भी बाज व शेर होंगे,

अच्छे के साथ बुरे लोग भी होंगे,

अक्ल व सूझबूझ से काम लेना आना चाहिए,

लड़ कर जीतना या लड़कर शहीद होना आना चाहिए।

जंगल मे भी मंगल मनाना आना चाहिए।


डरकर जीवन जिया नहीं जा सकता,

भयग्रस्त मानसिकता में कुछ किया नहीं जा सकता,

संगठन की शक्ति को जाग्रत करना आना चाहिए,

स्वयं का आतम्बल ऊंचा उठाना चाहिए,

जंगल में भी मंगल मनाना आना चाहिए।


जहां चाह वहां राह बन ही जाती है,

हिम्मत से मुश्किल हार जाती है,

जीवन जीने की कला यही कहती है,

मनःस्थिति बदलने से परिस्थिति बदल जाती है,

ईश्वर से मदद मांगने से पहले,

स्वयं की मदद करना आना चाहिए,

हर चुनौती को स्वीकार करना चाहिए,

जंगल में भी मंगल मनाना आना चाहिए।


👏स्वरचित - श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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