भय व अंधेरा एक ही तो हैं,
क्रमशः साहस व प्रकाश का अभाव ही तो हैं।
कितना भी गहन अंधेरा हो,
एक नन्हे से दिए से हार जाता है,
कितना भी बड़ा भय हो,
एक साहस के विचार से भाग जाता है।
अरे अंधेरे से लड़ने में समय नष्ट न करो,
केवल प्रकाश की व्यवस्था करो,
अरे भय से भयभीत न होओ,
साहस जगाने वाले विचारों का सेवन करो।
एक पेपर पर समस्त भय को लिख डालो,
पूजन के दिये की लौ में उसे जला डालो,
फिर पुनः एक नया पेपर ले लो,
उन भय को हैंडल करने वाले साहसी विचार लिखो।
नेत्र बन्द कर कुछ ध्यान करो,
स्वयं को शिवाजी व राणा महाराणा प्रताप सा वीर अनुभव करो,
कठिनाइयों व चुनौतियों को घूर कर देखो,
अपने साहसी विचारों के अस्त्रों से उन्हें काट फेंकों।
अंधेरे व भय से डरना मूर्खता है,
प्रकाश व साहस की व्यवस्था करना बुद्धिमत्ता है।
नित्य एक वीर की कहानी पढ़ो,
फिर नेत्र बंद कर वही वीरता स्वयं में अनुभव करो।
वीरों की वीरता का निरंतर स्वाध्याय,
तुम्हे वीर बना देगा,
तुम्हारा बढ़ा हुआ आत्मबल,
तुम्हें महान गढ़ देगा,
मानसिक मनोबल बढ़ाने का व्यायाम,
गायत्री मंत्र जप, तप व ध्यान तुम्हें ऊर्जा से भर देगा।
फिर तुम्हारे आगे कभी भय ठहर न सकेगा,
जैसे प्रकाश के समक्ष अंधेरा टिक नहीं सकता,
तुम साहस की मूर्ति बनोगे,
निज पुरुषार्थ से गौरवशाली इतिहास लिखोगे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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