पुराने पापों के चिंतन व ग्लानि के बोझ के तले मत दबो,
उनसे उबरने हेतु प्रयत्न व पुरुषार्थ को करो।
तुम मनुष्य हो, जानकर या अनजाने में,
कुछ छोटी कुछ बड़ी ग़लती हुई होगी,
कुछ क्रोध के आवेश में कुछ लोभ के आवेग में,
जो नहीं करना था कर दिया होगा।
अब उन दुष्कर्मों की यादें,
पके घाव की तरह मन मे पीड़ा दे रही हैं,
भय ग्लानि का बोध करवा रही हैं।
ऋषि परंपरा में आध्यात्मिक उपाय उपलब्ध हैं,
पाप कर्मों से मुक्ति के उपाय संकलित हैं।
यदि किसी लड़की के शीलभंग का पाप किया है,
मन ही मन उस कन्या की आत्मा से व ईश्वर से क्षमा मांगों,
इस पाप से मुक्ति के लिए कन्या भ्रूण हत्या रोको,
कुछ गरीब कन्याओं के पढ़ने हेतु फीस दान करो,
गरीब कन्याओं के अच्छे घर में विवाह करवाओ,
कन्याओं के उत्थान हेतु प्रयास करो,
कन्या के शीलभंग के पाप को पुण्य कर्मों से नष्ट करो।
यदि किसी के धन हड़पने का पाप किया है,
तो दान ध्यान सौ गुना करके पाप से मुक्ति पाओ।
यदि किसी के दिल दुखाने का पाप किया है,
तो सैकड़ो को सुखी करने का पुण्य करो।
जिस क्षेत्र में पाप हुआ है,
उसी क्षेत्र में पुण्यप्रयास करो।
जितनी गलती की है उतने पीपल के वृक्ष लगाओ,
ज्यों ज्यों वृक्ष बढ़ेगा त्यों त्यों तुम्हारा वह पाप कटेगा,
ज्यों ज्यों पक्षी उस पर रैन बसेरा करेंगे,
त्यों त्यों तुम्हारे जीवन के अंधकार छटेंगे।
गायत्री मंत्र जप-ध्यान व स्वाध्याय करो,
नित्य अपनी आत्मा को प्रकाशित करो।
ऐसे अनेकों उपायों को अपनाओ,
अपने पापों के बोझ को कम करो,
न घबराओ न आंशू निज भूतकाल के लिए बहाओ,
वर्तमान में सुनहरे भविष्य के लिए आधार बनाओ।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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