गुड़ चींटी को आकर्षित करता है,
पुष्प भौरें को आकर्षित करता है,
गंदगी मक्खी-मच्छर को आकर्षित करता है,
प्रदूषण कीटाणु-रोगाणु को आकर्षित करता है।
ऐसे ही..
शुद्ध अन्तःकरण ईश्वरीय कृपा को आकर्षित करता है,
निर्मल भावनाएं ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
कलुषित अन्तःकरण पिशाचों को आकर्षित करता है,
कलुषित भावनाएं असुरत्व को आकर्षित करता है।
देवत्व से जुड़ना है,
प्रथम शर्त है अन्तःकरण की शुद्धि,
निर्मल भावनाएं और सद्बुद्धि,
इसके बिना कोई साधना सध न पाएगी,
इसके बिना देवत्व उदय की घटना घट न पाएगी।
एक म्यान में दो तलवार रह नहीं सकती,
कलुषित भावनाओं के साथ ईश्वरभक्ति सध नहीं सकती।
आओ मन को प्रभु का मंदिर बनाएं,
अन्तःकरण की शुद्धि का अभियान चलाएं,
भावनाओं को शुद्ध करें व सद्बुद्धि का जागरण करें,
गुरुचेतना धारण करने योग्य स्वयं को समर्पित शिष्य बनाएं।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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