Wednesday 12 May 2021

तुम गायत्री देवी हो, मेरे प्राणों में बल भर दो,

 ॐ भूर्भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥


तुम गायत्री देवी हो,

मेरे प्राणों में बल भर दो,

मेरे प्राणों की रक्षा कर,

मुझे अपनी शरण मे ले लो।


हे प्राणस्वरूप देवी माँ,

मुझमें दिव्य प्राण भर दो, 

हे दुःखनाशनी देवी माँ,

मेरे समस्त दुःख दूर कर दो।


हे सुखस्वरूप देवी माँ,

मुझे जीवन सुख दे दो , 

हे श्रेष्ठता की मूर्ति माँ,

मुझे भी श्रेष्ठ गढ़ दो, 


हे दिव्य तेजोमयी माँ,

मुझमें भी दिव्य तेज भर दो, 

हे पापनाशनी देवी माँ, 

मेरे समस्त पाप हर लो।


हे दिव्य रूपणी देवी माँ,

मेरे अन्तःकरण में प्रवेश करो,

हे पथ प्रदर्शनी देवी माँ,

मुझे सन्मार्ग की ओर प्रेरित करो।


हे अग्निवत यज्ञमयी गायत्री माँ,

मुझे समिधा मान मेरी आहुति स्वीकार करो,

मुझे अपने जैसा अग्निवत बना,

मेरा सर्वथा कल्याण करो।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...