Sunday, 23 May 2021

साँसों का मोल समझ आया, जब कोविड में ऑक्सीजन का सिलेंडर लगाया।

 फेफड़ों का महत्त्व समझ पाया,

जब श्वांस लेने में स्वयं को असहज पाया।


साँसों का मोल समझ आया,

जब कोविड में ऑक्सीजन का सिलेंडर लगाया।


दिल धड़कने का सबब याद आया 

जब बीमारी ने रक्त में असर लाया।


जब मुश्किल था स्वास्थ्य का सँभलना, 

तब मुसीबत में सिर्फ़ परमात्मा तू ही तू याद आया।


दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से कोविड में,

फिर ज़िंदगी का महत्त्व बहुत याद आया।


जिंदगी की भाग दौड़ में भूले थे,

परमात्मा तुझे और तेरी दी इस अनमोल जिंदगी को, 

अब इस बीमारी में तू ही तू याद आया,

तेरी दी अनमोल जिंदगी का महत्त्व समझ आया।


इस बार मुझे मेरी गलतियों के लिए बख़्श दे,

मुझे कोविड से बचा पुनः नई जिंदगी दे,

वादा है अब एक पल भी व्यर्थ न करूंगा,

यह जीवन ईश्वर तेरे अनुशासन में लोकहित जियूँगा।


इस जिंदगी के लिए तेरा आभार,

यह जिंदगी है अब तेरी ही उधार,

यह नया जीवन तेरा ही होगा,

वादा है अब इंसानियत व नेकनीयत से भरा होगा।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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