Tuesday, 11 May 2021

जीवन को भार न समझो,

 जीवन को भार न समझो,

कठिनाइयों को हार न समझो,

जीवन को एक खेल समझो,

कठिनाइयों को एक गेंद समझो,

मनोबल का बैट उठाओ,

कठिनाइयों पर चौका छक्का जमाओ।


एक गेंद छूट गयी,

तो शोक न मनाओ,

एक बार आउट होने पर,

भयभीत न हो जाओ,

अभी तो बहुत मैच बाकी है,

अभी तो बहुत खेल बाकी है।


सद्गुरु से कोचिंग लेते रहो,

जप-तप-ध्यान व योग-प्रणायाम करते रहो,

नित्य स्वाध्याय करते रहो,

जीवन के खेल हेतु पात्रता बढाते रहो।


यह आध्यात्मिक अभ्यास,

तुम्हें कर्म में कुशल बनाएगा,

चित्त वृत्तियों का निरोध सिखाएगा,

लक्ष्य की ओर एकाग्रता बढ़ाएगा,

मन व शरीर में संतुलन लाएगा।


जीवन के खेल का आनन्द वही ले पायेगा,

जो अध्यात्म की नेट प्रैक्टिस में पसीना बहायेगा,

सद्गुरु के हिसाब से जीवन अनुशासन में ढालेगा,

निज कर्मो में कुशलता बढ़ाएगा।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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