प्रश्न - मैं 39 उम्र का विवाहित पुरुष हूँ, सुंदर लड़कियों को देखने से स्वयं को कैसे रोकूँ? मन को नियन्त्रित कैसे करूं?
उत्तर - सुंदर पुष्प को या सुंदर बच्चे को या सुंदर स्त्री को देखना व सराहना गलत नहीं है। लेकिन यदि मन की नीयत सही नहीं है व वासनात्मक दृष्टि है तो अनुचित है।
वासना व इच्छाएं राजा महाराजा जिनकी हज़ारों सुंदर रानियां थीं उनकी पूरी नहीं हुई तो साधारण इंसान की पूरी होगी अनेकों रिश्ते बनाकर यह सोचना मूर्खता होगी।
एक बार श्री माँ से अरविंद आश्रम में एक शिष्य ने यह व्यथा कही कि मैं सन्यासी हूँ मगर मेरी दृष्टि युवा स्त्री को देखकर कलुषित हो जाती है, व हृदय में वासना उभर जाती है। मेरी सहायता कीजिये।
श्री माँ ने उसे मातृभाव साधना बताई, कहा थोड़ा अभ्यास करो और सभी स्त्रियों में मां दुर्गा को विराजमान समझो। ज्यों ही स्त्री दिखे उसे मन ही मन माँ दुर्गा समझ प्रणाम करो। माँ दुर्गा से प्रार्थना करो कि मां प्रत्येक युवा स्त्री में तुझे देख सकूँ और मुझमें मातृभाव जाग सके यह शक्ति दें। युवा सन्यासी ने श्री माँ की बताई विधि से माता दुर्गा से प्रार्थना करना शुरू किया, करुणामयी माँ दुर्गा की कृपा हुई और वह फिर जब भी किसी युवा स्त्री को देखता तो बस माँ कह के मन ही मन उसके चरणों मे प्रणाम करता। शुरू शुरू में कठिनाई हुई मग़र अभ्यस्त होने पर वह पुत्रवत भाव जगा सका, सबमें माता को देख सका।
जब दृष्टि बदली तो उसकी सृष्टि बदल गयी, जब नीयत बदली तो मन नियंत्रण में हो गया।यही मातृ भाव साधना आपकी भी मदद करेगी। सभी सुंदर लड़कियों में माता दुर्गा/गायत्री के दर्शन होंगे तो वात्सल्य व ममत्व उभरेगा और वासना मिट जाएगी।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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