प्रश्न - गर्भ धारण के कितने दिनों बाद जीवात्मा गर्भ में प्रवेश करती है?
उत्तर - अध्यात्म व विज्ञान सभी इस सम्बंध में एकमत नहीं है। गर्भोपनिषद कहता है कि सातवें माह में गर्भ स्थित पिंड जीव युक्त हो जाता है।
विज्ञान कहता है हृदय की धड़कन यह सिद्ध करती है कि प्राण प्रवेश कर गया है।
अन्य धर्म ग्रंथ, तंत्र ग्रंथ व पुनर्जन्म से सम्बंधित ग्रंथ व परामनोविज्ञान कहता है कि गर्भ के 7 वें सप्ताह (लगभग 40 दिन बाद) से 7 वें महीने के अंदर गर्भ में कभी भी प्राण(जीवात्मा) प्रवेश कर सकती है। अतः 7 वें सप्ताह से ही गर्भ को जीवात्मा युक्त माना जा सकता है।
जीवात्मा का स्वयं गर्भ चुनना या ईश्वरीय न्याय व्यवस्था के अंतर्गत निर्धारित गर्भ में ही प्रवेश मिलने के 50-50 % चांसेस होते हैं। पूर्वजन्म के कर्मानुसार जीवात्मा के अच्छे कर्म होते हैं तभी स्वतः गर्भ चुनने का अवसर मिलता है। जैसे संचित कर्म व चित्त वैसे प्रकार के माता पिता के यहां गर्भ में प्रवेश मिलता है। अपवाद रूप में ही कभी कभी विपरीत प्रवृत्ति के बच्चे पैदा होते यह पूर्व जन्म के ऋणानुबंध का असर होता है।
प्राकृतिक घटनाएं गुफाएं तैयार करती हैं, वहां जीव प्रवेश कर अपना आश्रय बना लेते हैं। इसी तरह स्त्री पुरूष गर्भस्थ पिण्ड का निर्माण करते हैं, व उनकी चित्त, मानसिक तरंगे व घर का वातावरण सिग्नल आकाश में भेजते हैं, उनकी उन तरंगों, विचारों व मनोभावों से आकर्षित हो शरीर की तलाश में घूम रही जीवात्मा उनमें प्रवेश करते हैं।
इसलिए परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा है, नए जोड़ो को जैसी आत्मा गर्भ में आकर्षित करनी है वैसे ही चिंतन, विचार व मनोभाव व घर का वातावरण गर्भधारण के कम से कम 9 माह पूर्व से गर्भ धारण के 9 वें महीने तक बनाएं रखें। इससे मनोवांछित गुणों की सन्तान पाई जा सकती है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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