प्रश्न - अंग्रेजो की क्लर्क स्तर की शिक्षा पद्धति को पुनः गौरवशाली गुरुकुल में कैसे बदलें?
उत्तर - उल्टे को पुनः उलटने के लिए, सर्वप्रथम वर्तमान शिक्षा पद्धति के साथ घर घर बाल संस्कार शाला चले।
न मुगलों ने हमें परास्त किया और न ही अंग्रेजो ने, हमें परास्त किया हमारी असंगठित सामाजिक व्यवस्था व ऊंच नीच और छुआछूत में बटी समाज व्यवस्था ने... स्वार्थ में अंधी सोच ने... व निज स्वार्थ के लिए जयचन्दों व मीरजाफर जैसे देशद्रोहियों ने...
हमें पुनः आज़ादी तभी मिली जब हम संगठित हुए व राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत हुए, देशहित स्वार्थ छोड़ा और लाखों लोगों ने कुर्बानी दी...
मुगलों ने हिंदुओ को कायर बनाया और अंग्रेजो ने हिंदुओ को क्लर्क स्तर की सोच वाला सेवक बनाया।
आधुनिक तरीके से गुरुकुल विकसित करने के लिए बड़े स्तर का इन्वेस्टमेंट चाहिए और योगी स्तर के गुरु, जो इस चुनौती को स्वीकार कर सकें और ऐसे ऐसे शिष्यों को गढ़े जो चहुं ओर अपना वर्चस्व दिखा सकें। *हिंदू लोगो को क्रिश्चन लोगों की तरह शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा इन्वेस्टमेंट करना होगा। कायरता को साहस में और क्लर्क की मानसिकता को तोड़कर सभी क्षेत्रों में लीडर गढ़ने की जरूरत है। चार अंकों की सैलरी, एक गाड़ी, विवाह और बच्चे पैदा मात्र करने के रद्दी स्वार्थी स्वप्न को तोड़कर कुछ कर गुजरने का माद्दा, राष्ट्र चरित्र व देशभक्ति बच्चों व युवाओं में गढ़ने की जरूरत है।*
कार्य कठिन है मगर असम्भव नहीं, सोच बदलना आसान नहीं है, लेकिन प्रज्ञावतार परम पूज्य गुरुदेव ने युगनिर्माण योजना की स्थापना ही सोच बदलने के लिए किया है।
चंद्रगुप्त को चाणक्य को ही तराशना होगा, शिवाजी को समर्थ गुरु रामदास ही निखार सकते हैं, राक्षसों के कुल मेभी भक्त प्रह्लाद गुरु नारद ही गढ़ सकते हैं। परमपूज्य गुरुदेव हम सबको क्रमशः चाणक्य, नारद व समर्थ रामदास की भूमिका में देखना चाहते हैं, इसलिए वह राष्ट्र पुरोहित गढ़ने में जुटे है। बस स्वयं से प्रश्न पूँछे क्या हम उसके लिए समर्पण को तैयार हैं? गुरु साहित्य का नित्य पठन, नित्य बताई साधना और नित्य उनकी बताई योजना के कुछ अंश के क्रियान्वयन हेतु प्रयासरत हैं? पांच कदम गुरु की ओर हमारा और हज़ार कदम गुरुदेव हमारी ओर बढ़ा देंगे। मग़र क्या हम वह पांच कदम बढ़ाने को तैयार हैं?
अप्प दीपो भव - राष्ट्रपुरोहित बनने हेतु कठिन व श्रेष्ठ जीवन साधना करने हेतु तैयार हो जाओ। टकसाल बन जाओ।
समुद्र की ज्वार-भाटे से बाहर आयी लाखों तट पर तड़फती मछलियों को तुम पुनः समुद्र में अकेले नहीं डाल सकते, मग़र कुछ की जान तो वापस समुद्र में डाल कर बचा सकते हो।
दुनियां की समस्याओं का ऊंचा ढेर देखकर विचलित मत हो, अपितु उन समस्याओं के ढेर में से जो तुम हल कर सकते हो उस पर फोकस कर कार्य शुरू करो।
युगनिर्माण बहुत बड़ी योजना है, किस योजना में योगदान दे सकते हैं बस उसमें जुटने की जरूरत है।
बस मरते वक़्त अफसोस नहीं होना चाहिए कि जो कर सकते थे वो नहीं किया... समस्या गिनने में रह गए लेकिन कोई समाधान का हिस्सा न बन सके...
अपितु मरते वक्त संतुष्टि व खुशी होना चाहिए कि दुनियां में व्याप्त लाखों समस्याओं में से कुछ के समाधान हेतु हमने जीवन खर्च किया, अच्छे उद्देश्यों के लिए जीवन जिया।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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