Wednesday, 23 June 2021

मैं अजर अमर अविनाशी हूँ, बस एक यात्रा में हूँ।

 मैं अजर अमर अविनाशी हूँ,

बस एक यात्रा में हूँ।


गर्भ से पहले भी,

मैं अस्तित्व में थी,

जब गर्भ में थी,

तो भी मैं वही शाश्वत परमात्मा का अंश थी, 

जब शरीर मे जन्म हुआ,

 तो भी उस शरीर में  मैं ही थी,

उस शरीर की हलचल,

मुझसे ही थी,

स्कूल की शिक्षा, जॉब और विवाह,

सभी घटनाक्रम की साक्षी,

मैं ही थी,

भोजन, शयन व प्रत्येक कर्म को होते,

साक्षी भाव से देख रही थी,

जब यह शरीर बाल्यकाल में था,

तो भी मैं पूर्ण शशक्त व अस्तित्व में थी,

जब यह शरीर युवावस्था में था,

तो भी मैं पूर्ण शशक्त व अस्तित्व में थी,

जब यह शरीर वृद्धावस्था में होगा,

तो भी मैं पूर्ण शशक्त व अस्तित्व में रहूंगी,

जब यह शरीर छूटेगा,

तो भी मैं पूर्ण शशक्त व अस्तित्व में रहूंगी,

बस फर्क यह होगा पहले शरीर के भीतर थी,

अब बाहर रहूंगी,

मेरे हटते ही,

शरीर निढाल व निष्क्रिय होगा,

भला शरीर रूपी गाड़ी,

बिना ड्राइवर के कैसे चल सकेगा?

उसे जलाया जाएगा,

एक मुट्ठी राख में वह तब्दील होगा,

प्रत्येक घटना की मैं साक्षी रहूंगी,

पुनः नए शरीर में प्रवेश की प्रतीक्षा होगी,

कर्मफलनुसार पुनः एक नई यात्रा प्रारंभ होगी।


👏श्वेता, DIYA

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