जीवन समुद्र में,
लहरों का शोर तो होगा ही,
सुख दुःख की लहरों का,
आना जाना तो रहेगा ही।
कभी कभी तो,
चक्रवाती तूफ़ान तो आएगा ही,
सदा ज्वार व भाटे का,
आगमन निर्गमन तो होगा ही।
यह समुद्र कभी शांत न होगा,
मछलियों का जन्मना-मरना लगा रहेगा ही,
यही समुद्र किसी के लिए,
कभी सुखकर तो कभी दुःखकर रहेगा ही।
हे मन, यहां घबराने से काम न चलेगा,
साहस से सुमद्र में तो उतरना पड़ेगा ही,
यह समुद्र ही जीवन है,
जीना है तो सुख दुःख का आना जाना,
सहज हृदय से स्वीकारना पड़ेगा ही।
मुस्कुराते हुए जीवन नाव में,
जीवन गीता गाना है,
या जीवन नाव में,
दुखड़ा रोना है,
यह निर्णय तुम्हारा है।
यदि गाओगे तो सफर में आनन्द मिलेगा,
रोवोगे तो सफर में हृदय शूल से दुःखेगा,
समुद्र को न तुम्हारे गाने से फर्क पड़ेगा,
न तुम्हारे रोने से फर्क पड़ेगा।
याद रखो,
तुम समुद्र पर निर्भर हो,
समुद्र तुम पर निर्भर नहीं,
जीवन के सफ़र में,
कुछ भी सदा स्थिर नहीं,
अच्छा पल भी एक न एक दिन गुजर जाएगा,
बुरा पल भी एक न एक दिन चला जायेगा।
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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