प्रश्न - गर्भसंस्कार को अत्यंत साधारण भाषा में समझाइए? यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर - यदि मैं आपसे पूंछू कि गर्भ संस्कार क्यों करवाना चाहिए? तो शायद आप उत्तर न दे सकें।
लेक़िन यदि मैं आप से पूंछू कि विद्यारम्भ संस्कार क्यों करवाना चाहिए तो आपके पास उत्तर होगा कि बच्चे की शिक्षा का शुभारंभ हम वैदिक मंत्रों से करते हैं व उन्हें स्कूल पढ़ने के लिए भेजते हैं। उन्हें शिक्षित, सभ्य व कमाने योग्य बनाने हेतु शिक्षा अनिवार्य है।
लेक़िन क्या आप जानते हैं कि बच्चे की असली शिक्षा व संस्कार गर्भ से शुरू हो जाता है। बड़ी उम्र के बच्चे से अधिक तेजी से गर्भस्थ बच्चा सीखता है। कभी सोचा है जैसी भाषा(हिंदी, इंग्लिश, स्पेनिश, कन्नड़, तेलगु, पंजाबी) इत्यादि में से किसी भी भाषा मे बोलने वालों के घर जन्मा बच्चा उनकी भाषा का ज्ञान गर्भ में ही तो सीखता है। आपके गुणों को गर्भ में ही सीख कर जन्म लेता है।
इस पर ढेर सारी चिकित्सीय साइंटिफिक रिसर्च यूट्यूब पर उपलब्ध है देख सकते हो।
गर्भ संस्कार गर्भस्थ के शिक्षा के प्रारम्भ का शुभारंभ है। अब गर्भस्थ को शिक्षित व संस्कारित करने हेतु मौखिक टूल्स गर्भसमवाद, कहानी, स्वाध्याय, ध्यान, भजन, संगीत, मन्त्र जप इत्यादि का सहारा लेना है।
गर्भस्थ के शिक्षक-प्रशिक्षक माता व पिता एवं परिवार जन को ही बनना पड़ता है।
गर्भ संस्कार विद्यारम्भ संस्कार की तरह शिक्षण प्रारम्भ का वैदिक परंपरा अनुसार श्रीगणेश (शुरुआत) है।
मौखिक शिक्षण, वैचारिक शिक्षण व भावनात्मक शिक्षण माता-पिता द्वारा - प्रारम्भ (श्रीगणेश) - *गर्भ संस्कार*
लिखित शिक्षण व पुस्तकीय शिक्षण स्कूली टीचर द्वारा प्रारम्भ (श्रीगणेश) - *विद्यारम्भ संस्कार*
आध्यात्मिक ज्ञान व साधना का ज्ञान सद्गुरु के द्वारा प्रारम्भ (श्रीगणेश) - *उपनयन व गुरु दीक्षा संस्कार*
संस्कार मात्र प्रारम्भ मुहूर्त है, उसके बाद निरंतरतरता अनिवार्य है।
गर्भस्थ शिशु के माता पिता अपने गर्भस्थ शिशु को सही संस्कार व शिक्षण दे सकें इस हेतु ट्रेनिंग गायत्री परिवार करवाता है, साथ ही उन्हें शिक्षण के लिए आवश्यक स्वाध्याय की पुस्तक व साधना भी बताता है। समस्त मौखिक व भावनात्मक टूल्स व तकनीक समझाता है।
https://youtu.be/9KvKquhZA18
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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