एक दूसरे पर हुकुम नहीं चलाना है, एक दूसरे का सहयोगी बनना है।
जॉब करने वाले पति पत्नी सास की नोकझोंक -
पति- सुनो, एक ग्लास पानी पिला दो..
पत्नी - जाओ पानी पियो और एक ग्लास मेरे लिए भी लेते आना..
सास - कैसी पत्नी है तू, अपने पति को पानी भी नहीं पिला सकती, बेचारा थक गया है... हम तो अपने पति को चाय नाश्ता पानी सब देते थे...तू तो पानी भी नहीं पिला सकती...
बहु - माँ, क्या आप ऑफिस जाते थे और शाम को ससुर जी के साथ ही ऑफिस से आते थे?
सास - नहीं, मैं जॉब नहीं करती थी..
बहु - मैं भी आपके बेटे की तरह 10 घण्टे काम करके ऑफिस से घर लौटी हूँ... तो क्या मैं थक नहीं गयी?
सास - मेरा बेटा, तुझसे ज्यादा कमाता है?
बहु - 10 घण्टे जॉब में कोई 5 हज़ार कमाए या 5 लाख, थकेगा तो दोनो ही.. क्या मेरे कम कमाने से कम थकान होगी? ज्यादा कमाने वाले को ज्यादा थकान होगी?
सास - पता नहीं.. पर वो तेरा पति है...उसकी सेवा करना तेरा कर्तव्य है..
बहु - अच्छा माँ, क्या मेरे खून का रँग नीला और आपके बेटे का खून लाल है? क्या पत्नी दूसरे ग्रह से आई प्राणी होती है? क्या वो नहीं थकती?
सास - हाँ तू भी थकती है, फिर भी तू बहु है पत्नी है, सेवा तेरा धर्म है?
बहु - माँजी, किस ग्रंथ में लिखा है कि सेवा केवल पत्नी का धर्म है, पति का नहीं... पति के लिए सेवा करना मना है।
सास - तू बहस बहुत करती है, परंपरा कहती है कि पत्नी को सेवा करनी चाहिए, धर्म ग्रंथ का मुझे पता नहीं।
बहु - माँ, परम्परा मनुष्य अपनी वर्तमान स्थिति को देखकर बनाते थे। पहले पति कठिन परिश्रम हल जोतकर , बड़े बड़े अनाज के गट्ठर ढो कर लाते थे, स्त्रियां अनाज वगैरह चक्की में पिसती थीं। दोनों मिलकर कार्य करते थे, धूप व पसीने से तरबतर पति जब आता था तो पत्नी उसकी सेवा करती थी।
यहां मैं और आपका बेटा एक साथ ही आये हैं, आज सुबह से बैक टू बैक मीटिंग में प्रेजेंटेशन के लिए मैं पूरे दिन अधिकतर समय खड़ी रही। तो थकूंगी नहीम क्या?
सास - तू बस बहस करना जानती है, घर के काम करना नहीं...
बेटा - पानी पीकर आया व दो ग्लास पानी लाया, एक ग्लास मां को और एक पत्नी को दिया और बोला, माँ जब पति पत्नी कमाने में बराबर मेहनत कर रहे हैं तो घर मे भी दोनो को बराबर मेहनत करनी चाहिए। यदि पापा आपके काम मे हाथ बंटाते तो क्या आपको अच्छा नहीं लगता? पापा पुरानी सोच में रिटायरमेंट के बाद भी वैसा ही हुकुम बजाते हैं जैसा जॉब के वक़्त करते थे, कभी आपको नहीं लगता होगा कि घर मे तो आप दोनो एक जैसे ही रह रहे हो, पापा खुद भी पानी पिये और आपके लिए लाए तो क्या आपको अच्छा नहीं लगेगा?
बहु, सास दोनो निःशब्द थीं, तभी चार कप कॉफी बनाकर ससुर जी लाये और सबको देते हुए बोले, मैंने तुम सबकी बात सुनी, तुम सबके सामने मैं तुम्हारी माँ को सॉरी बोलना चाहता हूँ। अब हुकुम नहीं चलाउंगा सहयोगी तुम्हारी माँ का बनूँगा। हम सब मिलकर कार्य करेंगे।
बहु कॉफी पीकर उठते हुए बोली, इसी बात पर आज सबके लिए मटर पनीर और फ्राइड राइस की पार्टी, ससुर जी बोले बेटे मटर मुझे दे दो मैं छील दूंगा। सास बोली मसाले की तैयारी मैं कर दूंगा, बेटे ने कहा सलाद इत्यादि काटकर डायनिंग टेबल मैं साफ कर दूंगा।
सबने एक स्वर में कहा, यह विचार का परिवर्तन अच्छा है। एक दूसरे पर हुकुम नहीं चलाना है, एक दूसरे का सहयोगी बनना है।
💐श्वेता चक्रवर्ती, डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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