Thursday, 5 August 2021

बालसंस्कारशाला क्लास: 2 - संगति का असर व लोगों का आपके प्रति उसके कारण बनता दृष्टिकोण

 क्लास: 2 - संगति का असर व लोगों का आपके प्रति उसके कारण बनता दृष्टिकोण


युगानुकूल गुरुकुल  - बालसंस्कार शाला 


(यह मेरे स्वप्न का गुरुकुल है जो एक न एक दिन जब ईश्वर साथ देंगे व गुरुकृपा होगी तब खोलूँगी - लेखक - श्वेता चक्रवर्ती)


ऑडिटोरियम में लाइटिंग की व्यवस्था कुछ ऐसे है कि लाइट नीचे व ऊपर से कुछ इस तरह आ रही है कि वहां खड़ा व्यक्ति व उसकी ड्रेस उसी रँग में रंगी दिखती है।


प्रिंसिपल मैडम ने तीन श्वेत वस्त्र पहने बच्चों को तीन जगह पर लाईट लगी जगह पर खड़ा किया। लाइट के रँग प्रभाव के कारण कोई लाल, कोई नीला व कोई हरा दिख  रहा था।


मैडम ने ऑडिटोरियम के मंच का पर्दा हटाया और वहां बैठे माता-पिता व बच्चों से पूँछा कि तीनों बच्चों के वस्त्र के रँग बताओ। सबने क्रमशः लाल, नीला व हरा रंग बता दिया। प्रिंसिपल मैडम ने उन रंगीन लाइट को बंद करने के निर्देश दिए व सब हतप्रभ थे कि अरे यह तो तीनों के रँग सफेद हैं।


प्रिंसिपल मैडम ने कहा - हम किसके साथ खड़े हैं इस पर निर्भर करता है कि लोग हमारे बारे में क्या राय बनाएंगे व हमारा मन किनके रँग में रंगेगा।


यदि कोई बच्चा किसी ग़लत कार्य करने वाले बच्चों के साथ समय बिताता है, तो वह उनके दुर्गुण में धीरे धीरे रंगने लगेगा व उनके जैसा एक दिन बन जायेगा।


यदि कोई बच्चा किसी अच्छे कार्य करने वाले बच्चों के साथ समय बिताता है, तो वह उनके सद्गुण में धीरे धीरे रंगने लगेगा व उनके जैसा एक दिन बन जायेगा।


आप किस स्थान पर खड़े हैं वह भी आपके बारे में लोगो की राय तय करेगा। आप मन्दिर में हाथ जोड़े खड़े हैं तो लोगो की राय आपके धार्मिक होने ही होगी। आप पब में बैठे हैं तो लोगों की राय आपके शराबी होने की होगी। 


आप कहाँ व किसके साथ हैं, व क्या कर रहे हैं, वह आपकी पहचान बन जाता है। जैसी संगति वैसा रंगत एक न एक दिन चढ़ जाता है।


अतः मित्र समूह सही चुने, शोशल दबाव व मित्रों के दबाव में ग़लत संगति में न पड़े।


क्रमशः....

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