Thursday, 5 August 2021

बालसंस्कारशाला क्लास: 3 - अपनी असली क्षमता की पहचान - बड़ी वज़ह - burning desire

 क्लास: 3 - अपनी असली क्षमता की पहचान - बड़ी वज़ह - burning desire 

(युगानुकूल गुरुकुल  - बालसंस्कार शाला)


स्कूल के मैदान में सभी बच्चे रेस में दौड़ने के लिए खड़े थे, प्रांगण में दर्शक दीर्घा के स्थान पर बच्चों की रेस देखने को माता पिता बैठे थे।


प्रिंसिपल मैडम ने मंच पर माईक से कहा, दौड़ने से पहले यह बताओ बच्चों! तुम व तुम्हारे माता-पिता व अध्यापक क्या तुम्हारी असली स्पीड जानते हैं? कि तुम कितना तेज भाग सकते हो?


सब बच्चों ने सहमति में सर हिलाया..हाँ जानते हैं..


ठीक है, प्रिंसीपल मैडम ने आगे कहा, जो जीतेगा उसे एक सप्ताह की बिना होमवर्क की छुट्टी मिलेगी? अब बताओ तुम्हारी स्पीड दौड़ की पहले से तेज होगी या नहीं।


सब बच्चों ने सहमति में सर हिलाया..बोले हाँजी मैम अब दौड़ने की यह वज़ह हमे और ज़्यादा स्पीड देगी..


ठीक है, प्रिंसीपल मैडम ने आगे कहा, उन्होंने इशारा किया तो कुछ पुलिस वाले कुछ ख़तरनाक भौंकते कुत्ते लेकर मैदान में लेकर आये, जिसे देख बच्चे भयभीत हो गए। बच्चों यदि यह खतरनाक कुत्ते तुम्हारे पीछे छोड़ दिये जायें तो... अपनी जान बचाने के लिए

अब बताओ तुम्हारी स्पीड दौड़ की पहले से तेज होगी या नहीं...


सब बच्चों ने सहमति में सर हिलाया..बोले हाँजी मैम अब दौड़ने की यह वज़ह - जान बचाने के लिए हम जी जान लगाकर दौड़ेंगे, हमे यह वजह पहले से और ज़्यादा स्पीड देगी..


ठीक है, प्रिंसीपल मैडम ने आगे कहा, एक कल्पना करो कि तुम्हारी माता का एक्सीडेंट हो गया और जान बचाने के लिए एक लाख रुपये की जरूरत है। यदि यह रेस जीतोगे तो ही माँ की जान बचेगी, अब बताओ तुम्हारी स्पीड दौड़ की पहले से तेज होगी या नहीं..


सब बच्चों ने सहमति में सर हिलाया..बोले हाँजी मैम अब दौड़ने की यह वज़ह -  माँ की जान बचाने के लिए हम जी जान लगाकर दौड़ेंगे, हमे यह वजह सबसे ज़्यादा स्पीड देगी..


प्रिंसिपल मैडम ने कहा, जिंदगी की रेस हो या यह रेस हमारी स्पीड व क्षमता वह वजह(कारण-लक्ष्य- burning desire) तय करता है, जिसके लिए हम दौड़ रहे हैं। पढ़ाई की स्पीड भी यही वज़ह तय करेगी।


तुममें से जीतने के प्रति जिसके पास बड़ी वज़ह (burning desire) मन मे होगी? जिसे पता होगा कि यह रेस जीतना मेरे लिए क्यों जरूरी है? वही इस रेस को जीतेगा। बिना किसी वजह के हमें अपनी असली क्षमता की पहचान नहीं हो पाती।


अतः आंख बंद करके अपनी असली स्पीड जो छुपी है उसे बाहर निकालो, मन को मजबूत करो और शरीर के साथ मन से भी दौड़ लगाओ। पूरी एकाग्रता से दौड़ो।


भगवान कृष्ण ने कहा - कर्म करो फल की चिंता मत करो


तुम्हारे हाथ में केवल तुम्हारा प्रयास है, तुम्हारा फोकस दौड़ते वक़्त दौड़ पर केंद्रित होना चाहिए, जीत व हार पर नहीं। 


सीटी बजती है और बच्चे दौड़ते हैं, मग़र सारे माता-पिता अपनी जिंदगी की रेस की वजह तलाशते हैं कि उनकी जीवन की रेस की वज़ह (burning desire) क्या है?


बच्चे भी सोचते हैं कि हमारे पढ़ने के पीछे की वज़ह (burning desire)  क्या है?  हम क्यों पढ़ रहे हैं? यह जानेंगे तभी बेहतर परफार्म कर पाएंगे।


(यह मेरे स्वप्न का गुरुकुल है जो एक न एक दिन जब ईश्वर साथ देंगे व गुरुकृपा होगी तब खोलूँगी - लेखक - श्वेता चक्रवर्ती)


क्रमशः....

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