क्लास: 4 - हम सुधरेंगे युग सुधरेगा -यदि परिवर्तन चाहते हो तो परिवर्तन का हिस्सा बनो
(युगानुकूल गुरुकुल - बालसंस्कार शाला)
अध्यापिका महोदय ने ब्लैकबोर्ड पर युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा का दिया उद्घोष लिखा - "हम सुधरेंगे युग सुधरेगा" इसे लाइव उदाहरण देकर सिद्ध करो..
सभी बच्चे एक दूसरे का मुँह देखने लगे, विचार करने लगे कि कैसे सिद्ध करें?
एक विद्यार्थी ने पूँछा - मैम "युग" से आपका क्या अभिप्राय है?
अध्यापिका महोदय ने कहा - "युग' का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। उदाहरणः कलियुग, द्वापर, सत्ययुग, त्रेतायुग आदि। युग वर्णन का अर्थ होता है कि उस युग में किस प्रकार से व्यक्ति की सोच थी, किस प्रकार के कर्म थे, उनका जीवन व रहन सहन इत्यादि किस प्रकार था।
धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य' सबसे उचित धारणा, अच्छी सोच व अच्छे कर्म, अर्थात जिसे सबको अपनाना चाहिए। अधर्म में वह किया जाता है जो धर्म का उल्टा होता है, उदाहरण - धर्म में लोगों का भला किया जाता है और अधर्म में लोगों का बुरा किया जाता है।
सतयुग में - धर्म 90% और अधर्म 10%
त्रेता में - धर्म 75% और अधर्म 25%
द्वापर में - धर्म 50% और अधर्म 50%
कलियुग में - धर्म 10% और अधर्म 90%
विद्यार्थी - वर्तमान में कलियुग चल रहा है सब बोलते है, तो युग सुधारने का अर्थ हुआ कलियुग को सतयुग में बदलना।
अध्यापिका महोदय - बिल्कुल ठीक समझा
विद्यार्थी - मैडम इतने बड़े युग का लाइव डेमो क्लास में कैसे दें?
अध्यापिका महोदय - अच्छा यह बताओ, कि समुद्र के जल का परीक्षण करना हो तो क्या करोगे? क्या पूरा समुद्र लैब में लाओगे या थोड़ा सा जल लाओगे?
विद्यार्थी - थोड़ा पानी लाकर, उसका लैब में परीक्षण करेंगे। जो रूप गुण व थोड़े जल में होगा वही पूरे समुद्र के जल का भी होगा।
अध्यापिका महोदय - इसीतरह इस युग मे हम सब भी तो हैं, तो इस युग का छोटा अंश यह क्लास भी तो हो सकती है। तो युग परिवर्तन का डेमो अपनी क्लास के उदाहरण से दे सकते हैं कि नहीं?
विद्यार्थी - क्रिपया आप ही इस क्लास के माध्यम से हमें युगपरिवर्तन का लाइव डेमो दीजिये।
अध्यापिका महोदय - मान लो यह क्लास युग है, तुम सब इस युग मे रहने वाले लोग हो। अब तुम्हारा धर्म है पढ़ना व इस क्लास को साफ सुथरा रखना।
विद्यार्थी - जी सही कहा आपने..
अध्यापिका महोदय - तुम सब अपने बैग से रफ पेपर से एक पेज निकालकर छोटे टुकड़े करके अपने आसपास एक दूसरे पर फेंको और आपस मे बातें करो।
(सबने केवल अपने आसपास कचरा किया, लेक़िन दूसरे देखने वालों की नजर में पूरी क्लास गंदी हो गयी, हल्ला मच गया)
अध्यापिका महोदय ने कहा - शांत हो और अपने आसपास देखो, तुमने कचरा फैलाने का अधर्म किया व शोर किया तो पूरी क्लास गंदी व असभ्य बन गयी।
अब सभी अपनी अपनी सीट के आसपास सफाई करें, जो कचरा फैलाया था समेटें। व शांति से ध्यानस्थ हो पढ़ने बैठ जाएं।
(पूरी क्लास साफ़ सुथरी व शांत हो गयी, क्योंकि आपने अपने विद्यार्थी धर्म का पालन किया)
अध्यापिका महोदय - अच्छा बच्चों इस लाईव डेमो से कुछ समझ मे आया।
विद्यार्थी - मैडम, जैसे दीपावली में सब अपने अपने घर दिया जलाते हैं और पूरा देश रौशन हो जाता है। वैसे ही यदि सभी अपने अपने मनुष्य धर्म का पालन करें तो पूरा देश समृद्ध व धर्मयुक्त बन जायेगा। आज की क्लास की एक्टिविटी के उदाहरण में यह पता चला कि यदि प्रत्येक विद्यार्थी केवल स्वयं सुधर जाए व अपने हिस्से का धर्म पालन कर ले, तू पूरी क्लास बदल जाएगी व व्यवस्थित रहेगी। अच्छी बन जाएगी।
*सभी एक साथ बोल उठे, हम सुधरेंगे तो युग सुधरेगा। यदि देश , समाज व परिवार को सुधारना है तो प्रत्येक व्यक्ति को सुधरना होगा। अपने हिस्से का धर्म पालन करना होगा।*
(यह मेरे स्वप्न का गुरुकुल है जो एक न एक दिन जब ईश्वर साथ देंगे व गुरुकृपा होगी तब खोलूँगी - लेखक - श्वेता चक्रवर्ती)
क्रमशः....
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