Thursday 26 August 2021

प्रश्न - मन्त्र जप की उपयोगिता क्या है?

 प्रश्न - मन्त्र जप की उपयोगिता क्या है?


उत्तर- मंत्र पूर्णत: ध्वनि विज्ञान पर आधारित हैं और ध्वनि के चमत्कारों को विज्ञान मान्यता भी दे चुका है। जिस प्रकार से योग और दूरबोध (टेलीपैथी) को विज्ञान सम्मत करार दिया गया हैं, ठीक वैसे ही मंत्र भी विज्ञान सम्मत है। मंत्र की वास्तविक परिभाषा है-'मननात जायते इति मंत्र' यानी जिनके मनन से (जपने से, ध्यान रहे जाप बिना उच्चारण के भी होता है) जन्म-मृत्यु के चक्कर से छुटकारा मिल जाए वही मंत्र है। इसी तरह जिसके उच्चारण से या बोलने से हमारे समस्त कार्य पूरे हो जाएं वही मंत्र है।


मन्त्र के मुख्यतया तीन प्रकार है - वैदिक, तांत्रिक व शाबर मंत्र


वैदिक मन्त्र - वृहद प्रभाव, देर से सिद्धि, लंबे समय तक प्रभाव बना रहता है। दक्षिण मार्गी साधना। उदाहरण - ग़ायत्री मन्त्र


तांत्रिक - कम समय तक प्रभाव, वैदिक की अपेक्षा जल्दी सिद्धि, सृजन कम विनाश ज्यादा। वाममार्गी साधना। उदाहरण - वशीकरण मंत्र


शाबर मंत्र - अत्यंत छोटे विशेष उद्देश्य के लिए साधना, जल्दी सिद्धि व अत्यंत कम व सीमित प्रभाव, उदाहरण - मधुमक्खी उड़ाने का शाबर मंत्र


दक्षिण मार्गी मन्त्र साधना में भी तीन प्रकार के मन्त्र है :-


1- नाम मन्त्र - किसी देवी देवता के नाम का उच्चारण - उदाहरण ॐ नमः शिवाय


2- दैवीय शक्ति को स्वयं में धारण करने के मन्त्र - उदाहरण - गायत्रीमंत्र


3- बीज मंत्र - दैवीय शक्तियों के बीज को जागृत करना - उदाहरण - *क्लीं*


सभी मन्त्र को सिद्ध करने के नियम व विधिव्यवस्था है। ग़ायत्री मन्त्र 24 अक्षर से बना है व 24 लाख जप विधिपूर्वक जप करने पर सिद्ध हो जाता है।


मन्त्र गुरु धारण करने के बाद गुरु के मार्गदर्शन में जपने की सलाह दी जाती है। यहां गुरु अपने तप का एक अंश देकर शिष्य साधक को संरक्षण प्रदान करता है।


मगर बिना गुरु धारण के भी मन्त्र जप किया जा सकता है, यहां साधक को स्वयं का संरक्षण स्वयं करना पड़ता है।


गुरु वशिष्ठ व विश्वामित्र की श्रेणी का होना चाहिए। वशिष्ठ तप में सवाकरोड़  ग़ायत्री मन्त्र जप के बाद गुरु बनता है और पीड़ित मानवता की सेवा व प्रकृति संरक्षण के कार्यो से गुरु विश्वामित्र बनता है।


मन्त्र तभी जीवंत बनता है, जब उसमें श्रद्धा व विश्वास किया जाता है।


दोनो हथेली को लगातार रगड़ो तो गर्म हो जाती है, रगड़ से ऊर्जा उतपन्न होती है। टाइपराइटर की तरह मन्त्र उच्चारण से सूक्ष्म नाड़ियां झंकृत होती है, मंत्रों के निरंतर जप व सूक्ष्म रगड़ से ऊर्जा उतपन्न होती है।


ग़ायत्री मन्त्र जप पर आध्यात्मिक रिसर्चर ऋषियों ने तो बहुत कुछ इसकी महिमा का गुणगान करते हुए लिखा ही है। मग़र आधुनिक जगत के कुछ चिकित्सक समूह की रिसर्च भी इंटरनेट पर मन्त्र के सम्बंध में उपलब्ध है जिसे देखा जा सकता है। यूट्यूब पर डॉक्टर रमा जयसुन्दर की रिसर्च देख सकते हैं।


मुंह का अग्निचक्र उपांशु जप में आध्यात्मिक ऊर्जा का बेहतरीन उत्पादन करता है। मन्त्र जप के समय उगते सूर्य का ध्यान या माता ग़ायत्री का ध्यान लाभ दायक है। ग़ायत्री मन्त्र की निराकार साधना में प्रकाश मात्र के ध्यान का भी उपयोग किया जाता है।


गुरुकुल में शिक्षा से पूर्व ग़ायत्री मन्त्र जप बुद्धिकुशलता बढाने हेतु विद्यार्थियों से करवाया जाता था।


रिसर्च कहती है कि जो विद्यार्थी ब्रह्ममुहूर्त में ग़ायत्री मन्त्र कम से कम 108 मन्त्र बार जपते हैं, उनके दिमाग़ शांत व बुद्धि प्रखर होती है। उन में अच्छे हार्मोन्स का रिसाव होता है व उन्हें स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।


ग़ायत्री मन्त्र की आध्यात्मिक उपलब्धियां अनन्त हैं, असम्भव भी सम्भव कर सकता है जो साधक 24 करोड़ मंत्रों का जप कर लेता है।


छोटा सा प्रयोग खुद भी करके देख सकते हैं- 40 दिन में सवा लाख मन्त्र का ग़ायत्री जप अनुष्ठान करके स्वयं इसकी शक्तियों को अनुभूत कर सकते हैं।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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