प्रश्न - क्या आध्यात्मिक साधना शारिरिक, मानसिक और सांसारिक स्तर पर भी सफलता पाने में सहायक हो सकता है?
उत्तर - जी हाँ, इसे एक उदाहरण से समझिए:-
मानवीय चेतना के पांच स्तर होते हैं:-
1- देव मानव
2- महामानव
3- मानव
4- पशु मानव
5- मानव पिशाच
मनुष्य जब जन्म लेता है, तब उसकी चेतना बीच में होती है, वह आध्यात्मिक अभ्यास व श्रेष्ठ कार्यो से ऊपर की ओर ऊर्ध्वगमन भी कर सकता है। साथ ही कुसंगति व गलत कार्यो से नीचे की ओर भी लुढ़क सकता है।
मान लीजिए किसी व्यक्ति की गाड़ी का पहिया गड्ढे में फंस गया। चिंता व अवसाद ने उसे घेर लिया।
वह मन को राहत देने के लिए व समस्या के समाधान ढूंढने के लिए या तो दो बोतल दारू पी सकता है या आध्यात्मिक अभ्यास शांत स्थिर ध्यानस्थ हो कुछ योग या मन्त्र जप सकता है। दोनों ही तरीके मन को राहत देंगे, एक का प्रभाव क्षणिक और दूसरे का प्रभाव स्थायी होगा।
दारू पीने से चेतना निम्न स्तर पर होगी और समस्या का बॉटम व्यू मिलेगा। समस्या बड़ी दिखेगी व उलझी हुई दिखेगी।
आध्यात्मिक साधना से चेतना ऊर्ध्वगमन करेगी व समस्या का टॉप व्यू(बर्ड व्यू) मिलेगा। जिससे समस्या हमारी मानसिक स्तर से छोटी व क्लियर दिखेगी। एकाग्रता समस्या का समाधान ढूढ़कर देगी।
आध्यात्मिक अभ्यास से मिली शक्ति व एकाग्रता से पुरुषार्थ सही दिशा व सही तरीके से करने में मदद मिलेगी। सफलता मिलेगी।
अध्यात्म दिशा देता है, विज्ञान गति देता है। अध्यात्म ईंधन है, विज्ञान इंजन है। जीवन मे दोनो की जरूरत है।
शरीर को मन नियंत्रित व संचालित करता है, मन को आत्मा नियंत्रित व संचालित करती है।
मन बहुत अच्छा सेवक और बहुत बुरा मालिक है। मन पर यदि अध्यात्म की लगाम हो तो यही मन सभी क्षेत्रों में सफल बनाता है। अन्यथा बेलगाम यही मन पतन की ओर ले जाएगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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