अभी जिसकी कद्र नहीं जो मिल गया, वो चला गया तो बहुत पछताओगे।
आत्मीय भाइयों व बहनों
1- हम सबको अब आज़ाद देश में जीने की कद्र नहीं रह गयी है
2- तीर्थ स्थल जाने पर जज़िया कर देना पड़ता नहीं- एक हाथ पर अब कोई थूकता नहीं और पैसा देना पड़ता नहीं, इस दर्द से आज़ाद हैं इसकी कद्र नहीं
3- अंग्रेजों की दर्दनाक ग़ुलामी व मनमाना कर वसूले जाने के दर्द से मुक्ति मिली हुई है। तो इसकी कद्र नहीं।
4- तलवार की नोक पर धर्मपरिवर्तन और बहन बेटियों की सार्वजनिक इज्जत लूटने का भय नहीं। इस समस्या से मुक्ति की कद्र नहीं
5- जिन्होंने हमें आज़ादी दिलवाई उन लाखों क्रांतिकारियों के स्मरण की हमें फुर्सत नहीं। उनकी कद्र नहीं।
गौ, गंगा, गीता व ग़ायत्री जो हमारी भारतीय संस्कृति की जड़ है, उस आधार व संस्कार को प्रत्येक घर में दृढ़ता से अनुपालन करवाने की फुर्सत नहीं।
श्रीमद्भागवत गीता, श्रीरामचरितमानस का स्वाध्याय, सूर्य अर्घ्य दान व नित्य ध्यान व ग़ायत्री मन्त्र जप से सुपर ब्रेन संतानों को गढ़ने की फुर्सत नहीं। अपने धर्म ग्रंथो व मंत्रों की शक्ति की कद्र नहीं।
भारतीय वीरों के जीवन चरित्र सुनाकर अपनी संतानों को वीर व साहसी बनाने की फुर्सत नहीं। उन वीरों की वीरता की कद्र नहीं।
आपस में ही जाति के नाम पर व निज स्वार्थों में लड़ मर रहे हैं।
अगर नहीं सुधरे तो पुनः नर्क व गुलामी की ओर बढोगे। पुनः तुम्हारी कायरता व बेपरवाही देश को गुलाम व देशवासियों को नारकीय जीवन जीने पर मजबूर कर देगी।
सोफासेट पर आराम, टीवी में मनोरंजन व थाली का भोजन तभी तक है जब तक देश आजाद है। हम संगठित है।
अन्य धर्मों के पास अनेक देश है। हमारे पास तो एक हिन्दू राष्ट्र भी नहीं। जो थोड़ा बहुत बचा है वही बचा लो, वरना हाथ मलते रह जाओगे।
हम दो हमारे दो के साथ सबके दो ही हो इसके लिए एकजुट हो जाओ वरना तुम्हारी संतानों का जीवन अंधकारमय हो जाएगा। सुधर जाओ व देश भक्त बन जाओ, देश की एकता अखंडता के साथ मिलकर प्रयास करो यही विनती तुम्हारी यह बहन कर रही है।
💐तुम्हारी बहन
श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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