Saturday 15 January 2022

सुखी रहने का फार्मूला

 सुखी रहने का फार्मूला


सुखी रहने का फार्मूला,

मैंने पूँछा चहकती चिड़िया से...

वह बोली मेरे पास जो है,

उससे मैं खुश हूँ,

मेरी ख़ुशी,

दूसरों की दी प्रशंशा पर निर्भर नहीं करती,

मुझे दुःख किसी दूसरे की दी गाली नहीं देती,

मुझे न कुछ खरीदना है,

न कुछ बेचना है,

मुझे कोई झूठा दिखावा भी नहीं करना है,

मुझे खुद से ऊंचा उड़ने वालो से कोई ईर्ष्या नहीं,

मुझे ख़ुद से कम ऊंचाई में उड़ने वालों को,

चिढ़ाना भी नहीं,

मेरी खुशी का रिमोट किसी के पास नहीं,

मेरी ख़ुशी बस मुझपे निर्भर है...


घोंसला आंधी गिरा दे,

तो मैं रोती नहीं,

फिर से घोंसला बनाने में जुटती हूँ,

भोजन की तलाश में नित्य निकलती हूँ,

जो भी मिल जाये बस उसी में संतुष्ट रहती हूँ,

हम पेट भरते है, मन नहीं..

हम जीने के लिए खाते है, खाने के लिए जीते नहीं..

जो जैसा है उसे वैसा स्वीकार करती हूँ,

इसलिए मैं सदा ख़ुश रहती हूँ...

☺️☺️☺️


तुम इंसानों के दुःख का कारण,

तुम्हारा बढ़ा हुआ अहम है,

तुम पेट नहीं भरते अपितु मन भरने की कोशिश करते हो,

मन भी भला कभी भरा है? इसलिए तुम निराश रहते हो..


जो जैसा है उसे स्वीकारने में तुम्हे कठिनाई है,

सबकुछ नियंत्रण में लेने की तुमने ठानी है,

प्रत्येक रिश्ता अपने मन मुताबिक चाहते हो,

प्रत्येक रिश्ते में रिमोट कंट्रोल ढूंढते हो,

इसलिए सदा निराश रहते हो...


खुद से अधिक कमाने वाले से ईर्ष्या करते हो,

खुद से कम कमाने वाले को शो ऑफ कर चिढ़ाते हो,

अपने लिए तो कभी जीते ही नहीं,

दुसरो को दिखाने व स्टेटस मेंटेन करने हेतु जीते हो,

इसलिए सदा निराश रहते हो..


तुम्हारे मन का कंट्रोल तो,

दुसरो के हाथ मे है,

दुसरो द्वारा की निंदा या स्तुति से,

तुम प्रभावित हो,

निज प्रशंशा सुन फूल कर कुप्पा बनते हो,

निंदा सुनकर निराशा के गर्त में गिरते हो,

तभी तो सदा निराश रहते हो..


जो पास है उसकी कद्र नहीं करते,

जो नहीं है उसका रोना रोते हो,

दुसरो इतनी ज्यादा उम्मीद बांधते हो कि,

ख़ुद उन उम्मीदों में उलझकर रह जाते हो,

इसलिए तुम सदा निराश रहते हो...


जिस दिन स्वयं को इस विराट अस्तित्व का,

एक नन्हा सा कण स्वीकार करोगे,

अहंकार का मुखौटा उतार फेंकोगे,

निंदा स्तुति से प्रभावित न होंगे,

दूसरों से उम्मीद न बाँधोगे,

जो जैसा है उसे वैसा स्विकारोगे,

बस स्वयं को ही सुधारोगे,

स्वयं के मन पर नियंत्रण करोगे,

तब तुमभी मेरी तरह आनन्दमग्न हो चहकोगे,

सदा आत्म भाव में विचरोगे,

सदा सर्वदा ख़ुश रहोगे।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...