प्रश्न - *यज्ञ में देशी गाय के घी की आहुति देना सर्वोत्तम है। लेकिन आधुनिक समय में देशी गाय का घी अधिकतम मात्रा में बड़े यज्ञ कार्यक्रम के लिए जुटाना दुष्कर कार्य है। क्या बाज़ार में मिलने वाला पैकेट का घी हम यज्ञ हेतु उपयोग ले सकते हैं?*
उत्तर - धर्म ग्रंथ के अनुसार 'देशी गाय', 'स्वर्ण' और 'जौ' ब्रह्मा जी की सृष्टि है। जो सर्वोत्तम है। 'भैंस', 'चांदी' व 'गेंहू' 'ब्रह्मर्षि विश्वामित्र' जी की सृष्टि है।
अतः पूजन व भोजन में देशी गाय का दूध व घी, पूजन व भोजन में जौ ही सर्वोत्तम है। शरीर में आभूषण हेतु स्वर्ण सर्वोत्तम है।
द्वितीय श्रेणी में इनके अभाव में पूजन व भोजन में भैंस का घी और पूजन व भोजन में गेंहू उपयोग में लिया जाता है। आभूषण हेतु चांदी का प्रयोग किया जाता है। इनकी श्रेणी द्वितीय है, अतः इनका फर्स्ट श्रेणी से तुलना न की जाय। इनके लाभ द्वितीय श्रेणी के मिलेंगे। ज़रूरत समस्त पूरी होगी।
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देशी गाय पूजनीय है उसमें 33 कोटि देवताओं का वास है, व A2 क्वालिटी के देशी गाय का घी से यज्ञ रोगनाशक है, पुष्टिकारक है व वातावरण को शुद्ध करता है। यह ब्रह्म सत्य है।
देशी गाय के दूध में अत्यंत कम फैट होता है, अतः 20 से 25 लीटर दूध में एक किलो घी निकलता है। इसलिए देशी गाय के बिलौने वाले घी की कीमत 1500 रुपये प्रति किलो है।
देशी गौ संवर्धन व संरक्षण का अपने क्षेत्र में प्रयास करें, जिससे देशी गाय के घी की आपूर्ति सर्वत्र पूजन व यज्ञ हेतु हो सके। स्वर्ण की कीमत चांदी से अधिक होगी है, अतः देशी गाय का घी महंगा होना स्वभाविक है।
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मार्किट में पूजा के घी के नाम पर सस्ता 150 रुपये में मिलने वाला घी नकली होता है जो कि मृत पशुओं की चर्बी को गलाकर निकाला जाता है, जो हिन्दू धर्म विरोधी विधर्मियों द्वारा तैयार किया जाता है। इसे पूजा में उपयोग कर आप धर्म की हानि करते हैं, व यज्ञ विध्वंस निज हाथों से ही करते हैं।
अतः यदि घी बाजार से लेना है तो सही जगह व सही ब्रांड का ही लें, हिन्दू धर्म को मानने वाले जो गाय का घी बेचते हैं वह वस्तुतः मिल्क क्रीम से बना होता है। जो सेफ है।
यह अलग बात है कि कुछ ब्रांड में जर्सी गाय व भैंस के मिल्क क्रीम की मिलावट हो सकती है, साथ ही वनस्पति तेल की मिलावट भी हो सकती है। मग़र यह 100% श्योर है कि उसमें चर्बी नहीं है। इस घी के यज्ञ व पूजन से न धर्म भ्रष्ट होता है और न ही यज्ञ में हानि होती है। यह घी पूजन व यज्ञ में प्रयोग किया जा सकता है।
देशी गाय का घी सर्वोत्तम है, लेक़िन आज के समय मे देशी गाय का घी अधिक मात्रा में बड़े यज्ञ के लिए मिलना कठिन है अतः सही ब्रांड का बाज़ार में उपलब्ध विश्वनीय घी पूजन व यज्ञ हेतु ले सकते हैं।
जौ की रोटी सर्वोत्तम गुणों युक्त है लेकिन गेंहू की रोटी भी खाकर पेट भरा जाता है। इसी तरह देशी गाय का घी सर्वोत्तम है, मग़र उसके अभाव में बाजार में अच्छे ब्रांड का उपलब्ध गाय का घी या भैंस का घी यज्ञ में उपयोग में लिया जा सकता है। 100% लाभ देशी गाय के घी जितना नहीं मिलेगा, मग़र 60 से 70% इस घी से भी लाभ मिल जाता है। स्वर्ण का लाभ है तो चांदी का भी अपना लाभ है।
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यज्ञ में समिधा, घी व आहुति के समिश्रण से मन्त्र शक्ति व स्वाहा के विस्फोट से ऊर्जा वलय का निर्माण होता है। यह इतनी सूक्ष्म होती है कि ऊपर आकाश तक व मनुष्य के डीएनए तक भी पहुंचती है। जैसे मन्त्र व भावनाएं होंगी वैसी ही ऊर्जा का निर्माण होगा व तद्नुसार लाभ भी होगा।
घी की चिकनाई हविष्य की बाइंडिंग करती है जो कि मन्त्र शब्द प्रवाह हवा व तरंग के माध्यम से उसे दूर तक ले जाने में सक्षम होते हैं। इनका गुण संयोजन से लाभ मिलता है।
वहम किसी भी चीज में न पालें, अपितु विवेक से काम लें। जीवन में दैवीय अनुकम्पा प्राप्ति के लिए, प्रकृति संरक्षण व संवर्धन हेतु यज्ञीय परंपरा के ज्ञान विज्ञान को समझें। यज्ञ को जीवन का अभिन्न अंग बनाये। दैनिक यज्ञ के साथ साथ सामूहिक यज्ञ भी करें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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