Sunday, 23 January 2022

कविता - मेरे सपनों का भारत

 *मेरे सपनों का भारत*


मेरे दिल में बसा है,

मेरे सपनों का भारत,

वह सोने की चिड़िया,

वह विश्वगुरु मेरा भारत।


जहां युगानुकूल गुरुकुल परंपरा हो,

जहाँ विज्ञान व अध्यात्म का समन्वय हो,

जहां गुरु चाणक्य सा हो,

और शिष्य चंद्रगुप्त सा हो,

ऐसा है मेरे सपनों का भारत।


प्रदूषण मुक्त वातावरण हो,

बिना मिलावट का अन्न व औषधि हो,

पीने को शुद्ध जल हो,

श्वसन के लिए शुद्ध हवा हो,

ऐसा है मेरे सपनों का भारत।


प्रत्येक नागरिक में राष्ट्रचरित्र हो,

गौ, गंगा, गीता व ग़ायत्री का सम्बल हो,

सेवा भावी पुरुषार्थी हर युवा हो,

कर्मयोगी उपयोगी हर युवा हो,

ऐसा है मेरे सपनों का भारत।


स्त्री- पुरुष में अधिकारों की समानता हो,

स्त्री- पुरुष एक दूसरे के पूरक हो,

प्रत्येक व्यक्ति में उत्तम चरित्र हो,

प्रत्येक परिवार में प्यार-सहकार व संस्कार हो,

ऐसा है मेरे सपनों का भारत।


आधुनिकीकरण की अंधी दौड़ न हो,

प्रकृति संरक्षण व संवर्धन सबके लिए जरूरी हो,

दो सन्तान का सब पर कानून लागू हो,

कानून व संविधान सबके लिए समान हो,

ऐसा है मेरे सपनों का भारत।


सामाजिक समरसता हो,

अस्पृश्यता का नामो निशान ना हो,

आर्थिक असमानता का,

समाज मे स्थान ना हो

ऐसा हो मेरा सपनो का भारत।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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