बाल निर्माण की कहानियां -अपनी बाल्टी में क्या भरोगे?अपने मन मे क्या भरोगे?
पड़ोस में रहने वाले प्रायमरी क्लास के बच्चे आपस में लड़ते व न जाने कैसे कहाँ से सीखे अपशब्द बोलते। दोनो की मम्मी परेशान थीं कि आख़िर इन्हें कैसे सुधारें। एक बार बच्चे के जन्मदिन पर जन्मदिन संस्कार का आयोजन श्वेता जी ने अपने घर पर करवाया, जहां पर आस पड़ोस के सभी बच्चों को बुलाया।
सभी बच्चों को छोटी छोटी बाल्टी दी गयी और एक एक्टिविटी करवाई गई। एक तरफ सुंदर आकर्षक हरे पत्ते व फूल रखे थे और दूसरी तरफ कुछ सड़े सूखे पत्तों के कचरे रखे गए थे। पूंछा गया यह बताओ आप अपनी बाल्टी में क्या भरना चाहोगे?
सब बच्चों ने उंगली दिखाया और कहा कि हरे व सुंदर पत्ते व फूल भरना चाहेंगे। कचरे को भरने को कोई रेडी नहीं हुआ।
तब सविता जी ने कहा जब बच्चों आप अपनी बाल्टी में अच्छी चीजें भरना चाहते हो तो फ़िर बताओ अपने मन में गंदी आदतों और शब्दों का कचरा क्यों भरते हो?
जिस बाल्टी में कचरा हो उसे कोई पसन्द नहीं करता, वैसे जिस बच्चे के अंदर गंदी आदतों को कचरा होगा बताओ भला उस बच्चे को कौन पसन्द करेगा?
अच्छी भली यह दो नई बाल्टी है, यदि एक में कचरा भरा व एक में फूल भरे। तो इन बाल्टी की पहचान बदल जाएगी जो इसमें भरा है वह इसकी पहचान बन जाएगी, एक को कहा जायेगा 'कचरे की बाल्टी' व दूसरे को कहा जायेगा 'फूलों की बाल्टी', ऐसे ही अच्छी आदतों, शुभ संस्कारों व शुभ विचारों के बच्चे को 'अच्छा बच्चा-Good boy/Good girl' बोला जाएगा, व बुरी आदतों, कुसंस्कारों व कुविचारों बच्चे को 'बुरा बच्चा-bad boy/bad girl' बोला जाएगा।
अतः अब आप सब निर्णय लो कि आपको अपनी क्या पहचान बनानी है? जो बनना है बस वह ही मन में, आदतों में व संस्कारो में होना चाहिए।
बच्चे समझ गए, जन्मदिवस संस्कार में दीपयज्ञ के बाद दक्षिणा में बच्चे व उनके माता पिता ने यह बुराई छोड़ी कि घर में व आसपास कहीं भी कभी भी गाली व अपशब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे।
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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