ऐसी कृपा करो जगजननी,
तुम्हारे रँग में मैं रँग जाऊं,
तुम सङ्ग तुम सी बन जाऊं,
यज्ञ में समिधा सी आहूत हो जाऊं...
मेरे नेत्र तुम्हारी प्रेरणा से सत्य देखें,
कर्ण तुम्हारी प्रेरणा से सत्य सुनें,
मुंह तुम्हारी प्रेरणा से सत्य बोले,
हृदय तुम्हारी प्रेरणा से सत्य धारण करें...
श्वांस - श्वांस अजपा ग़ायत्री जप करे,
धड़कन - धड़कन ग़ायत्री भजन करें,
कण-कण में व्याप्त अग्निवत सविता में,
हर कर्म यज्ञ में आहुतियां प्रदान करे...
ऐसी कृपा करो जगजननी,
मैं मिटकर तू ही शेष बच जाए,
जीवन का प्रत्येक क्षण तेरे काम आए,
मरकर चेतना तुझमें ही समा जाये...
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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