Sunday, 23 January 2022

लड़की की कमाई खाओगे? जो लड़की को पढा रहे हो?

 लड़की की कमाई खाओगे? जो लड़की को पढा रहे हो?


एक परिवार का छोटा लड़का जो अपनी तीन बहनों के विवाह में अपने पिता को कर्ज़ उठाते देखता है, इतने दान दहेज़ से शादी के बाद भी अपनी बहन को नित्य ससुराल में अपमानित होते देखता है। उसे बहुत कष्ट होता है, वह सङ्कल्प लेता है कि वह अपनी पत्नी को यह कष्ट नहीं देगा। साथ ही जब उसकी पुत्री होगी तो वह उसे इस योग्य बनाएगा कि वह समर्थ लक्ष्मीबाई की तरह बने।


समय चक्र बीतता है, उसके विवाह का समय आता है व माता पिता उसके विवाह के लिए दहेज माँगने की बात करते हैं तो वह मना कर देता है। वह कहता है पिताजी आप व हमारी बहने जिस दहेज कुप्रथा का शिकार होकर कष्ट पा रहे हो, अब वही कष्ट व पीड़ा दूसरे परिवार को देना चाहते हैं? क्यों? पिता ने कहा जो कर्ज लिया है वह कैसे चुकेगा? लड़के ने कहा वह मैं कमाकर चुकाऊंगा। जो अपमान आपकी बेटी झेल रही हैं क्या वही आप अपनी बहू को देना चाहते हैं? हम इंसान तब ही दर्द समझते हैं जब घर अपना जलता हो, दूसरे के जलते घर का तो हम तमाशा देखते हैं।


पिताजी हमारे गुरुदेव कहते हैं कि हम सुधरेंगे तब युग सुधरेगा। यदि परिवर्तन चाहते हैं तो परिवर्तन का हमें हिस्सा बनना होगा।


बिन दहेज़ के आदर्श विवाह ग़ायत्री शक्तिपीठ में हुआ। दहेज के लोभी जीजाजी व रिश्तेदार लोग इससे नाराज़ हुए लेक़िन उसकी बहनों ने भाई का साथ दिया।


समय चक्र बिता वह लड़का पिता बना, परिवार ने उस पर  दो बेटियों के बाद तीसरी सन्तान पैदा करने की ज़िद की, उसने इन्कार कर दिया। वह बेटियों को पढ़ाने लगा, तो नाते रिश्तेदार ताना देते व कहते - बेटियों को पढा रहा है तो क्या बेटियों की कमाई खायेगा। बिना दहेज तूने तो शादी कर ली, पर तेरी बेटियों का क्या होगा? वह लोगों की परवाह किये बिना दोनो बेटियों को पढ़ाता रहा, साथ ही बेटियों से कहा सही योग्य वर न मिले तो सन्यासियों की तरह कुंवारा रहना अच्छा है, दहेज लोभी व्यक्ति से कभी विवाह मत करना। जो तुम्हारा सम्मान करें उससे विवाह करना। बड़ी बेटी गर्ल्स कॉलेज में प्रोफेशर बनी और छोटी बेटी आई पी एस ऑफिसर बनी। पिता की इच्छा थी कि दहेजमुक्त समाज बने तो इसके लिए उन्होंने जागरूकता फ़ैलानी शुरू किया। युवा लड़के व लड़कियां इस मुहिम में जुटते गए। व कई आदर्श विवाह उन बेटियों ने करवाये। आये दिन उनके समाज सेवा की उपलब्धियों की न्यूज पेपर में खबरें छपती और प्रत्येक इंटरव्यू में वह दोनो पिता को इसका श्रेय देती।  माता को भी पिता के साथ साथ श्रेय देती। रिश्ते नातेदार चिढ़ते कुढ़ते मग़र कर भी क्या सकते थे?


दोनो बेटियों ने अपनी मन पसन्द लड़के से आदर्श विवाह ग़ायत्री शक्तिपीठ में किया और एक बार अपनी गाड़ी से वह गाँव आयी। पिता के दहेज लोभी जीजाजी लोगों ने बेटियो को पढ़ाया नहीं व न योग्य बनाया, इसलिए उनके पाप कर्मों की उनकी बेटियों को भुगतनी पड़ी। दहेज देकर विवाह किया फिर भी आये दिन उनकी बेटियों को ससुराल वाले परेशान करते। तब उन्होंने शालिनी जो कि आई पी एस ऑफिसर थी से मदद माँगी, साथ ही पूरे परिवार से क्षमा माँगी। शालिनी की मदद से दहेज उत्पीड़न की समस्या समाप्त हुई।


दहेज की समस्या की जड़ हम सबकी घटिया सोच है, यदि यह समस्या मिटाना है तो इसकी शुरूआत हम सभी को अपने अपने घरों से करनी होगी।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

1 comment:

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