Wednesday, 2 February 2022

प्रश्न - *“पोस्टपार्टम डिप्रेशन” क्या होता है? क्या है इसका इलाज!*

 प्रश्न - *“पोस्टपार्टम डिप्रेशन” क्या होता है? क्या है इसका इलाज!*


उत्तर- बच्चे  के जन्म के बाद आपके जीवन में एक आधारभूत परिवर्तन आता है और आपको कई प्रकार के नए अनुभव होते हैं. कई महिलाओं के लिए यह चिंता और अवसाद का कारण भी बन जाता है.

 

“पोस्टपार्टम डिप्रेशन” इस शब्द से भारत में अभी कुछ ही लोग परिचित है लेकिन इस गंभीर समस्या से अधिकतर लोग गुजरे हैं और गुजरते हैं. अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार डिलीवरी के बाद चार में से एक महिला को पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो जाता है, इसे पोस्ट डिलीवरी स्ट्रेस भी कहा जाता है. बच्चे के जन्म के बाद आपके जीवन में एक आधारभूत परिवर्तन आता है और आपको कई प्रकार के नए अनुभव होते हैं. कई महिलाओं के लिए यह चिंता और अवसाद का कारण भी बन जाता है. नई जिम्मेदारियों के कारण कई मानसिक और शारीरिक उतार-चढ़ाव आते हैं. ये ज्यादातर डिलीवरी के 2-3 दिन बाद से शुरू होकर 1-2 हफ्ते तक चलते हैं. लेकिन कुछ महिलाओं में यह तनाव, डिप्रेशन का रूप ले लेता है. पोस्टपार्टम डिप्रेशन कोई कमजोरी या पर्सनैलिटी में कोई कमी नहीं है, इसका संबंध सिर्फ एक बच्चे को जन्म देने की जटिलता से है. शुरुआत में तो पोस्टपार्टम डिप्रेशन को ज्यादातर लोग बेबी ब्लूज समझ लेते हैं.

👉🏻👉🏻👉🏻 *"पोस्टपार्टम डिप्रेशन” के लक्षण*

👉🏻 *स्वयं की उपेक्षा*

अपर्याप्त आहार, नींद में कमी, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और थायरॉइड हार्मोन के कम स्तर जैसे शारीरिक कारक भी पोस्टपर्टम डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं. 

👉🏻 *शारीरिक बदलाव*

बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन (Estrogen)  और  प्रोजेस्टेरोन (Progesterone)  हॉर्मोन्स के स्तर में अधिक गिरावट के कारण यह तनाव होते हैं. थायरॉयड ग्रंथि से निकलने वाले हॉर्मोन्स का लेवल भी गिरने से तनाव,, थकान और सुस्ती महसूस होती है. डिलीवरी के बाद स्ट्रेच मार्क्स, बालों का झड़ना, वजन बढ़ना आदि भी महिला में तनाव बढ़ाते हैं.


👉🏻 *भावनात्मक अस्थिरता*

गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद की स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बीमारी, सामाजिक अलगाव, या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से तनाव संभव है, जिसके कारण भावनात्मक अस्थिरता आ सकती है. 


👉🏻  *“पोस्टपार्टम डिप्रेशन” के उपाय*

👉🏻 *अनुभवी लोगों से सलाह लें*

अगर आप पहली बार माता - पिता बने हैं तो आपके पास किसी तरह इसका कोई अनुभन नहीं होगा. इसलिए ऐसे लोगों से सलाह करें जो पहले माता-पिता बन चुके हैं. वो आपको कुछ अच्छी सलाह दे सकेंगे. जरूरी नहीं कि आप माता-पिता बनने के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन के शिकार हो जाएंगे या हो गए हों लेकिन अगर आप किसी अनुभवी से बात कर लेंगे तो आपका मन हल्का हो जाएगा. 


पोस्टपार्टम डिप्रेशन माता को भी हो सकता है और पिता को भी हो सकता है। अतः सावधानी से और एक दूसरे को सपोर्ट करके आप इस डिप्रेशन से बाहर आ सकते हैं।


👉🏻 *पोस्टपार्टम डिप्रेशन से उबरने के आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक उपाय*


👉🏻 सबसे पहले स्वीकारिये कि थोड़ी असुविधा कभी कभी ज्यादा असुविधा होती है और जिम्मेदारी बढ़ती  है जब नया मेहमान बच्चा घर में आता है। एकल फ़ैमिली और जॉब करने वाले दम्पत्ति के लिए तूफ़ान सा अनुभव होता है। अतः इस तूफ़ान को सम्हालने के लिए आपका शांत व धैर्यवान होना अति अनिवार्य है।


👉🏻 शुभ मंत्रों का जप ग़ायत्री मन्त्र व महामृत्युंजय मंत्र जप मन ही मन पहले करें जब ख़ुद खाये या बच्चे को कुछ खिलाये पिलाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होगा। दिन में एक बार धीमी आवाज में ग़ायत्री चालीसा या हनुमान चालीसा बच्चे को जरूर सुनाए व खुद भी सुनें।


👉🏻 जब भी थोड़ा वक्त मिले गहरी लंबी स्वांस ले स्वयं को भरोसा दिलाये कि इस नई जिम्मेदारी को आप अच्छे से सम्हाल लेंगे। आप भी छोटे थे तो ऐसे ही थे, कुछ समय की बात है बड़े होते ही यह भी स्वयं को सम्हाल लेगा। सुबह उगते सूर्य का ध्यान करें और शाम को पूर्णिमा के चांद का ध्यान करें।


👉🏻 मन को सम्हालने के लिए कुछ महापुरुषों की जीवनियां व प्रेरणादायक घटनाक्रम पढ़े। बच्चा समझे या न समझे उसे वह अपनी भाषा मे सुनाए। इससे बच्चा आपसे कनेक्ट होगा। आप का गुस्सा बच्चे के गुस्से को बढ़ाएगा। आपकी मन की शांति बच्चे को शांत रखेगी। बच्चे का रिमोट कंट्रोल नियंत्रण करने के लिए न ढूढे, अपितु धैर्य से समाधान ढूंढे।


👉🏻 स्वयं को अच्छा महसूस कराने के लिए कुछ स्वयं के लिए भी करें। थोड़ा स्वयं के आनन्द के लिए कुछ करें, अपनी पसन्द का कोई कार्यक्रम देखे, कुछ अपनी पसन्द का खाएं। बच्चे के साथ साथ अपना भी ख़्याल रखें।


👉🏻 बच्चे के लिए एक माँ व एक पिता बनकर सोचें तो एक साथ मिलकर सम्हालना आसान हो जाएगा। यदि स्वयं को स्त्री-पुरुष समझेंगे व एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाएंगे तो झगड़ा होगा, डिप्रेशन बढ़ेगा, व समस्या बढ़ेगी। अतः थोड़ी समझदारी दिखाएं।


👉🏻 ईश्वर से प्रार्थना करें, कि हे ईश्वर हमें शक्ति, सामर्थ्य व धैर्य दो जिससे हम इस नए जीव जो सन्तान रूप में जन्मा है, उसका अच्छे से लालन पालन कर पाएं।


👉🏻 यदि कभी बहुत डिप्रेशन में आत्महत्या का विचार आये तो अपने मित्रगण को तुरंत फोन कर बात करें। पुनः विचार करें। यदि फिर भी डिप्रेशन नहीं जा रहा तो सोमवार से शुक्रवार को सुबह 10 से 12 के बीच निःशुल्क हमें फ़ोनकर आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक उपचारार्थ सलाह लें -( 9810893335- श्वेता चक्रवर्ती). एक दिन पूर्व व्हाट्सएप करके अपॉइंटमेंट जरूर ले लें।


थोड़ी सी समझदारी से बड़ी विपत्ति टल सकती है। यह नई जिम्मेदारी मातृत्व व पितृत्व की खुशी खुशी भी निभ सकती है।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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