Thursday 3 February 2022

प्रश्न - मैं इतनी पूजा करता हूँ फिर भी मेरा दुःख दूर नहीं हो रहा, पता नहीं कब समस्त दुःख दूर होंगे? मुझे आजकल बहुत गुस्सा भी आता है।

 प्रश्न - मैं इतनी पूजा करता हूँ फिर भी मेरा दुःख दूर नहीं हो रहा, पता नहीं कब समस्त दुःख दूर होंगे? मुझे आजकल बहुत गुस्सा भी आता है।


उत्तर - सुख व दुःख दिन व रात की तरह है, जो पृथ्वी पर जीवित है उसे दिन व रात की तरह सुख व दुःख भी झेलना पड़ेगा। समस्त दुःखों से मुक्ति के लिए पृथ्वी ग्रह का त्याग करना पड़ेगा, व समाज से दूर जाना पड़ेगा। दूसरा कोई उपाय नहीं। 


भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ थे,मग़र उन्होंने अर्जुन से यह नहीं कहा कि तुम माला जपो हम तुम्हारा युद्ध करेंगे।


उन्होंने कहा, उठो और अपना युद्ध स्वयं लड़ो।


यह जीवन तुम्हारा युद्ध क्षेत्र है, अपने जीवन के दुःखों से युद्ध स्वयं तुम्हे करना है। अतः निराश न होकर उठो और बुद्धि प्रयोग से युद्ध करो और जीवन की समस्याओं के समाधान ढूँढो। जीवन को खेल की तरह खेलो, खिलाड़ी मानसिकता से जियो।


ईश्वरीय उपासना से प्राणों में बल मिलता है व जीवन के प्रारब्ध का शमन होता है। बुद्धिबल मिलता है।


भगवान व गुरु से प्रार्थना करो, कि हे प्रभु जीवन के दुःखों से निपटने की शक्ति व सामर्थ्य दो। बुद्धिबल दो जिससे जीवन को बेहतरीन व व्यवस्थित जी सकूं। मुझे मेरे जीवन के संघर्षों को हैंडल करने की शक्ति दो।


 सरसो में तेल होता है लेकिन बिना प्रयास मिलता नहीं। वैसे ही गुरु व ईश्वर साथ होता है मगर बिना प्रयास महसूस होता नहीं।


 सुख व दुःख के निर्माता हम स्वयं है, जैसे मकड़ी जाला बुनती है वैसे ही हम सब सुख व दुःख बुनते है। मकड़ी अपना जाला निगल के मिटा देती है, वैसे ही हम भी अपने सुख व दुःख को मिटाने की क्षमता रखते है। जरूरत है स्वयं की अंनत शक्तियों से जुड़ने की, गहन ध्यान में स्वयं को जानने की।


तुम्हारी व्यग्रता व बेचैनी यह बता रही है जप व यज्ञ तो हो रहा है मगर ध्यान नहीं हो रहा। स्वयं को जानने व स्वयं की असली ताकत उभारने का प्रयत्न अधूरा है।


 तुम सर्वसमर्थ सत्ता हो स्वयं के भाग्य विधाता हो। तुम्हारा भविष्य तुम्हारे ही हाथ मे है।


 गुस्सा करो मग़र होश में, गुस्से के कारण का एक जज की तरह विश्लेषण करो।


गुस्सा धुँआ है, गहराई में छुपी कोई इच्छा - वासना की आग है। उसे निकालना पड़ेगा।। तुम्हारा क्रोध यह कहता है कि अभी भी तुम दुसरो से नियंत्रित हो, स्वयं पर नियंत्रण नहीं।


त्वरित मन की राहत व बेचैनी शांत करने के लिए चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र का जप पूर्णिमा के चांद के ध्यान करते हुए करो।


दूसरे की गलतियां , उनके उकसाने पर तुम भड़क रहे हो, अर्थात पशुवत कोई प्रवृत्ति भीतर है। स्वयं पर काम करो , ध्यान व स्वाध्याय करो।


स्वयं पर नियंत्रण रखो, तुम इंसान हो पशु नहीं। अतः अपने पर नियंत्रण करो, react - प्रतिक्रिया की जगह response - प्रति उत्तर सोचविचार कर देने का अभ्यास करो।


ज्यों ज्यों समझ बढ़ेगी, ध्यान तुम्हारे भीतर घटेगा, तुम योग्य समर्थ बनोगे। त्यों त्यों तुम जीवन को सम्हालने व हर समस्या के समाधान में सक्षम बनोगे। 


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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