Wednesday 2 February 2022

प्रश्न - *हमारे अंतर्मन में क्या क्या स्टोर है? क्या भरा है? कैसे जाने? अंतर्मन की सफाई कैसे करें?*

 प्रश्न - *हमारे अंतर्मन में क्या क्या स्टोर है? क्या भरा है? कैसे जाने? अंतर्मन की सफाई कैसे करें?*


उत्तर- मोटे तौर पर मन के दो भाग है, बाह्य चेतन मन (10%) जिसके प्रति आप अवेयर हैं। दूसरा भाग अंतर्मन (90%) जिसके प्रति आप अवेयर नहीं है।


स्मार्टफोन में आप सारे मेसेज पढ़ो या न पढ़ो, सारी इमेज देखो या न देखो, सब आप के फोन में सेव हो रही है। कुछ दिन याद रहा, फिर आप उनके बारे में भूल जाओगे। जब एक दिन समय निकालकर फ़ोन का पुराना डेटा चेक करोगे तब ही पुनः जानकारी ताज़ा होगी कि मेरे फोन की मेमोरी कार्ड में क्या क्या भरा है? 


अब अंतर्मन की मेमोरी कार्ड तो जन्म जन्मांतर का डेटा स्टोर करके बैठा है, नित्य के अनुभव स्टोर भी कर रहा है, मग़र मात्र वही अनुभव स्टोर करेगा जिससे आपकी भावनाएं - प्रेम, ईर्ष्या, क्रोध, घृणा, सम्मान, अपमान जुड़ा होगा। अंतर्मन कोई बात बिना भावनात्मक जुड़ाव के स्टोर करने में असमर्थ है। अंतर्मन की सफाई के वक्त यह भावनात्मक जुड़ाव विवेक और होश से तप से हटाना पड़ता है, तब सफाई होती है।


जितनी काली कड़ाई उतना ही डिटर्जेंट और मेहनत सफाई में लगेगा।जितने अधिक अंतर्मन में जमें कुसंस्कार उतना अधिक तपबल और ध्यान की मेहनत सफाई में लगेगी।


चेतन मन सांसारिक जीवन के कर्तव्य, उत्तरदायित्व व उद्देश्य के साथ उलझ कर दुखी भी रहता है, जो भी अच्छे बुरे अनुभव करता है वह अंतर्मन में भी स्टोर होता रहता है। कुछ दिन बाद चेतन मन से तो वह हट जाता है लेकिन अचेतन में भरा रहता है। कुछ उत्तेजना (ट्रिगर) मिलने पर एक्टिवेट हो जाता है। परंतु यदि ध्यान द्वारा होश में भीतर जो अंतर्मन होता है, वहां तक पहुंच जाएं और उसकी सफाई कर दें तो सारे दुखों का नाश हो जाता है। अंतर्मन में पहुंच जाना ही मुक्ति है, मोक्ष है। बाह्य मन हमें अंतर्मन तक पहुंचने से रोकता है। इसलिए बाह्य मन को अपनी सङ्कल्प शक्ति व अभ्यास द्वारा विवेक पूर्ण ज्ञान से वश में करना पड़ता है।


वैसे दु:ख-सु:ख तो केवल मन के नाटक हैं। आत्मा तो हमेशा आनंदित रहती है। इसलिए यदि अंतर्मन की सफाई कर दिया। अंतर्मन में अपने होश से सम्बंध स्थापित कर दिया फिर  सांसारिक दु:ख-सु:ख से कोई फर्क नहीं पड़ता। न अपमान का न सम्मान का, न किसी योग का न किसी के विछोह का। इसी स्थिति का नाम परमानंद को प्राप्त करना है अर्थात परमात्मा को प्राप्त करना है।


तुम्हारे भीतर तुम ही प्रवेश कर सकते हो, कोई चिकित्सक या अध्यात्मविद आपका मार्गदर्शन कर सकता है, लेकीन आपके अंतर्मन में प्रवेश कर उसकी सफाई नहीं कर सकता। अंतर्मन में प्रवेश कठिन है मगर असम्भव नहीं, निरंतर ध्यान व अभ्यास से अंतर्मन में क्या भरा है जान भी सकते हैं एवं कचरा साफ भी कर सकते हैं। नई शुभ आदतें व विचार डाल भी सकते हैं। स्वयं को पूर्णता से जानना है तो निज अंतर्मन को जानो।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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