Sunday, 27 February 2022

प्रश्न - दीदी हम गुरुकार्य कर रहे होते है, हमारी दिन चर्या में उसका समय fix भी हो गया होता है, फिर भी हमारे mission में परिजन हमे दूसरे कार्य मे जुड़ने को बोले तो क्या किया जाए ? कई बार 3-4 गुरुकार्य होते है जिसमे हमारी रुचि होती है, फिर भी हमे उसमे से 1 को ही चुनना पड़ता है ऐसे में सही निर्णय कैसे ले ?

 प्रश्न - दीदी हम गुरुकार्य कर रहे होते है, हमारी दिन चर्या में उसका समय fix भी हो गया होता है, फिर भी हमारे mission में परिजन हमे दूसरे कार्य मे जुड़ने को बोले तो क्या किया जाए ?

कई बार 3-4 गुरुकार्य होते है जिसमे हमारी रुचि होती है, फिर भी हमे उसमे से 1 को ही चुनना पड़ता है

ऐसे में सही निर्णय कैसे ले ?

कई बार गुरुकार्य के संकल्प का दबाव भी बढ़ जाता है, संकल्प लिया होता है  तो नींद भी नही आती और दूसरे सारे कार्य से पहले उन्हें priority देनी पड़ती है, जब तक वो खत्म ना हो तब तक चैन नही मिलता।


उत्तर- इस संसार में बहुत अलग तरह के फूल वनस्पति है। सबका महत्त्व है।


इसी तरह गुरुकार्य में शत सूत्रीय कार्यक्रम और सप्त आंदोलन है। यह पूरा प्रोजेक्ट है जो कि युगनिर्माण योजना व सतयुग की वापसी के लिए है। 


आप के पास 24 घण्टे ही है और आप एक इंसान भी है। आप स्वयं की योग्यता व रुचि देखिए कि किस गुरु कार्य मे आप ज्यादा कार्य कर सकते हैं। उसे चुन लीजिए और उसे पूरे समर्पण के साथ बेहतरीन कीजिये।


एक एक सैनिक एक ही पोस्ट अच्छे से सम्हाल ले तो भी देश की रक्षा हो जाती है। इसी तरह कोई एक गुरुकार्य भी आप बेहतरीन कर लें तो भी जीवन सार्थक है।


एक से अधिक गुरुकार्य तभी किये जा सकते हैं जब दोनो एक दूसरे से लिंक हों। जैसे सफाई आंदोलन और वृक्षारोपण दोनो साथ किये जा सकते हैं मग़र अलग अलग दिनों में.. एक ही दिन दोनो करने जाएंगे तो हो न पायेगा, किसी मे भी अच्छे से कार्य न होगा।


गुरुदेव ने अनेक साधनाएं बताई हैं। ऐसे ही आप कोई एक साधना कर रहे हैं और उसके साथ कोई दूसरी साधना भी करने की सलाह दे रहा है। यदि वह साधना उससे जुड़ी हुई हुई तो ठीक अन्यथा दोनो न हो पाएगी।


आप से बेहतर आपको कोई अन्य नहीं जानता। यदि समर्पण सच्चा है तो अंतरात्मा जो कहे उसे करें। लोग क्या कहेंगे उसकी परवाह न करें।


एक होता है रुचि और दूसरी चीज होती है योग्यता। तो गुरु कार्य चुनते समय अपनी योग्यता के आधार पर निर्णय लें न कि रुचि के अनुसार..


किसी की संगीत में रुचि है, मग़र योग्यता नहीं है, बालसंस्कार शाला चलाने की योग्यता है मगर उसमें रुचि नहीं है। तो उसे व्यर्थ में भजन-संगीत में अपना समय खर्च नहीं करना चाहिए। योग्यता क्योंकि बाल संस्कार शाला की है, तो वही करो।


दुसरे इंसानों के हाथ मे अपना रिमोट मत दो। सब निज योग्यता अनुसार तुम्हे काम बताएंगे, लेकिन कार्य का चयन दूसरे की योग्यता के आधार पर नहीं अपितु अपनी योग्यता के आधार पर करें।


काम बनेंगे भी, बिगड़ेंगे भी, आप तो बस यह देखो कि आपने अपना 100% दिया या नहीं? पूरी निष्ठा दिखाई या नहीं.. गुरुदेव आपकी निष्ठा व गुरुकार्य में लगाये समय-संसाधन को देखेंगे। सफलता व असफलता के परिणाम पर ईश्वर ध्यान नहीं देता, वह तो आपके नित्य प्रयास देखता है।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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