माँ का गर्भ शिशु की प्रथम पाठशाला - भाग 5 - गर्भस्थ शिशु से प्रार्थना
(दिव्या के घर पर गर्भ संस्कार को लेकर चर्चा हो रही है, दिव्या का गर्भ दो माह का हो गया है।)
दिव्या - गर्भस्थ शिशु व हमारे बीच अच्छे सम्बन्ध स्थापित हो, हम सबमें एक आत्मीयता बनी रहे इसके लिए क्या करें?
श्वेता - गर्भ धारण करने के बाद उसका रूपांतरण हो जाता है, अब वह मां है।
गणित में एक प्लेस वैल्यू होती है और दूसरा फेस वैल्यू होती है। अंक का मूल्यांकन प्लेस वैल्यू पर होता है। इकाई के स्थान पर वह एक है, दहाई के स्थान पर दस और सैकड़े के स्थान पर सौ है। यह नियम लड़की व लड़के दोनो पर लागू होता है। मनमानी व एकल सोच तब तक सही है जब तक अकेले हो। विवाह के बाद मूल्य बढ़ चुका है दहाई स्थान पर हो अब दो की तरह सोचो। बच्चे के बाद अब सैकड़े के स्थान पर हो, मूल्य व जिम्मेदारी बढ़ गयी है। अतः सोचने का तरीका बदलो।
माँ केवल माँ होती है, उसे स्त्री या लड़की बनकर गर्भस्थ शिशु के बारे में नहीं सोचना चाहिए। पिता केवल पिता होता है उसे कुंवारे लड़के की तरह नहीं सोचना चाहिए।
यदि आपने प्लानिंग के साथ बच्चा जन्म दे रहे है, तो यह बहुत अच्छी बात है।
यदि असावधानी माता से हुई या पिता से और गर्भ ठहर गया, तो इसमें उस आगंतुक बच्चे की कोई गलती नहीं है। अतः उसे अपमानित यह कह कर न करें कि हम तो अभी बच्चा नहीं चाहते थे ये तो एक्सिडेंटल केस है।
गर्भस्थ शिशु पूर्व जन्म में मृत्यु के दर्द को झेलकर नए शरीर मे आ रहा है, अपने प्रियजनों को छोड़ने का गम है। नए परिवार में अभी पूरी तरह जुड़ा नहीं है। अतः उसकी पीड़ा का अंत हो इसलिए उसे यह जताइए कि आप उसके आने से बहुत खुश है।
अपनी इच्छा लड़का या लड़की की गर्भ आने के बाद मत दोहराइये। यदि आपने कहा हम तो लड़का चाहते हैं तो गर्भ में लड़की हुई तो वह अपमानित महसूस करेंगी दुःखी हो जाएगी। यदि आपने कहा हम तो लड़की चाहते हैं तो गर्भ में लड़का हुआ तो वह अपमानित होगा व दुःखी हो जाएगा।
दिव्या - रवि - ठीक है दी, हम ध्यान रखेंगे कि गर्भस्थ शिशु का अपमान न हो.. हम उसका स्वागत दिल से करेंगे..खुशियां मनाएंगे..
श्वेता - तुम लोग जानते हो कि हम समस्या के आध्यात्मिक व मनोवैज्ञानिक निःशुल्क समाधान देते है, जिसके लिए हमें कोई भी सोमवार से शुक्रवार सुबह 10 से दोपहर 12 के बीच फोन कर सकता है। ऐसे ही एक बार मेरे पास हाल के जन्मे बच्चे की समस्या का केस आया।
केंद्रीय विद्यालय के दो टीचर ने शादी की व उनका बेटा हुआ। समस्या यह थी कि बच्चा माँ का दूध पीने को तैयार नहीं था, मां की गोदी में जाते ही रोने लगता। डॉक्टर ने मल्टीपल टेस्ट करवाये सब ठीक था उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि समस्या क्या है? बहुत प्रयास के बाद कुछ नहीं हुआ, मां का दूध गिर रहा था और बच्चा ऊपर का दूध ही ले रहा था। बच्चा मां की गोदी में रोये जा रहा था।
कुछ दिनों बाद जब पति ने यह समस्या स्कूल में अपने मित्र को बताई तो उन्होंने मेरा नम्बर उन्हें दिया। जब उनका फोन आया तो समस्या सुनने के बाद हमने उनसे पूंछा पिछले वर्ष किसी वृद्ध की आपके घर मृत्यु हुई थी, उनका जवाब था ..हाँजी हमारे पिता जी की...
हमने कहा- मेरे विचार से आपके घर वही पूर्वज जन्में हैं, लेकिन वह पूर्वजन्म की कड़वी यादों के कारण आपकी पत्नी से कुछ दुश्मनी करते हैं, व माँ के रूप में उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे।
कलियुग व पाश्चात्य प्रभावित पढ़े लिखे लोगो को शायद पुनर्जन्म पर और मेरी बातों पर भरोसा करना कठिन है। मगर हमारे वेद ग्रंथ व परा मनोविज्ञान पढ़ने वाले इस सत्य को जानते हैं कि पुनर्जन्म होता है। डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन व रिपोर्ट आपके पास है, इस समस्या का इलाज कोई भी डॉक्टर नहीं कर सकता। अतः जैसा हम कह रहे हैं पूरी श्रद्धा-विश्वास से वह करिए अवश्य लाभ होगा।
यदि हमारी बातों पर विश्वास कर सकें तो समस्या समाधान हेतु, पूजन घर मे पहले भगवान से अपने जाने-अनजाने में किये अपराध की क्षमा मांगे। भगवान से प्रार्थना करें कि वह बच्चे की आत्मा से संवाद स्थापित करने में आपकी मदद करें।
बच्चा जब तक बोलता नहीं तब तक पूर्वजन्म उसे याद रहता है, अतः उसके शरीर पर मत जाइए उसकी परिपक्व आत्मा से संवाद स्थापित कीजिए।
आप दोनो पति-पत्नी बच्चे के चरण छू कर माफ़ी मांगिये व प्रार्थना कीजिये, उससे माफी पूर्व जन्म में उसके साथ किये दुर्व्यवहार की मांगिये। हमे अपने माता पिता के रूप में स्वीकार लो और दूध माँ का पी लो, माता की गोदी में रहना स्वीकार लो..
हमारे कहे अनुसार दोनो ने बच्चे के पैर पकड़कर माफ़ी मांगी व माता का दूध पीने का आग्रह किया। बोला आपकी माफ़ी हमे मिले इसके लिए आप जो संदेश देंगे वह प्रायश्चित हम करेंगे। हमे माता पिता के रूप में स्वीकार कर लो, हमसे मित्रता कर लो और दूध पी लो..
वह हाल में जन्मा बच्चा मुस्कुराया, मां ने पुनः प्रयास किया और बच्चा दूध पीने लगा। मां की गोदी में सामान्य बच्चों सा हंसने लगा।
दिव्या व रवि, आपको भी नहीं पता कि गर्भ में कौन सी आत्मा आयी है? उसका अपमान कदापि मत कीजिए। उसका हृदय से स्वागत कीजिए...
--भगवान से और निम्नलिखित गर्भ से प्रार्थना कीजिये:-
*भगवान से प्रार्थना* - भगवान हमें माता पिता बनने की जिम्मेदारी अच्छे से उठाने की शक्ति व सामर्थ्य दीजिये। हम अच्छे माता पिता बने, बच्चे और हमारे बीच प्यार और सम्मान हो, अच्छी मित्रता हो। बच्चे की हर जरूरत हम पूरी कर सकें। यह बच्चा हमारे जीवन मे आनन्द की वृद्धि करे। हम बच्चे के जीवन मे आनन्द भरें।
---गर्भस्थ शिशु से प्रार्थना कीजिये-
हे गर्भ में विद्यमान आत्मा,
आप हमारे पूर्वज हो या मित्र हो तो,
हम नहीं जानते...
हमें अपने माता पिता के रूप में स्वीकार करो,
इस नए अनुबंध में हमारा साथ दो...
हमसे मित्रतापूर्ण व्यवहार करो...
हे गर्भ में विद्यमान आत्मा,
यदि आप हमारे पूर्वजन्म के शत्रु हो तो,
इस जन्म में समस्त शत्रुता का अंत करो,
नई मित्रता स्वीकार करो,
हमें अपने माता पिता के रूप में स्वीकार करो,
इस नए अनुबंध में हमारा साथ दो...
हमसे जाने अनजाने में,
इस जन्म में या पूर्वजन्म में,
आपके साथ कोई दुर्व्यवहार हुआ हो तो,
हमें क्षमा कर दो,
हमने यदि आपको कोई क्षति पहुंचाई हो तो,
हमें क्षमा कर दो,
हमें अपने माता पिता के रूप में स्वीकार करो,
इस नए अनुबंध में हमारा साथ दो...
हम अपनी भूलों के लिए प्रायश्चित करने को तैयार हैं,
हमारा स्वप्न या ध्यान में संकेत के माध्यम से मार्गदर्शन करें,
हमें क्षमा कर,
हमारी मित्रता स्वीकार करें,
हमें अपने माता पिता के रूप में स्वीकार करो,
इस नए अनुबंध में हमारा साथ दो...
स्वस्थ व प्रशन्नचित्त जन्म लो,
इस नए जन्म को सार्थक करो,
श्रेष्ठ जीवन जियो,
और हमारे साथ प्रेमपूर्वक रहो।
हम आपका आगे बढ़ने व पढ़ने में,
यथासम्भव सहयोग करेंगे,
आप भी स्वयं को उच्च शिक्षित व सफल बनाने हेतु,
यथासम्भव प्रयास करें...
आपसे प्रार्थना है कि,
आप स्वयं का उत्थान करें,
परिवार के संरक्षक बने,
समाज के उद्धारक बने,
और इस राष्ट्र के रक्षक बने,
स्वयं भी आनन्दित रहें,
व हमें भी आनन्द दें।
दिव्या-रवि - ठीक है दी, हम यह दोनो प्रार्थना करेंगे। दी गर्भस्थ के स्वागत हेतु कौन सी प्रार्थना करें यह भी बता दीजिए..
श्वेता - तुम यह गर्भस्थ शिशु का स्वागत गीत गाओ..
मेरे प्यारे बच्चे,
गर्भ में तुम्हारा स्वागत है,
हमारे जीवन में तुम्हारा स्वागत है,
तुम नंन्ही परी हो या नंन्हे फरिश्ते,
तुम जो भी हो तुम हो मेरे प्यारे बच्चे...
तुम हमारे जीवन में,
ढेर सारी खुशियाँ लेकर आ रहे हो,
तुम हमारे जीवन में,
एक नई रौशनी लेकर आ रहे हो..
मेरे प्यारे बच्चे,
गर्भ में तुम्हारा स्वागत है,
हमारे जीवन में तुम्हारा स्वागत है,
देखो तुम्हारे मम्मी-पापा मुस्कुरा रहे हैं,
अपनी आंखों से तुम्हारे लिए,
ढेर सारा प्यार बरसा रहे हैं,
तुम्हारे दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ-फूफा तो,
तुम्हारे आने की खुशी में,
झूम नाच गा रहे हैं।
मेरे प्यारे बच्चे,
गर्भ में तुम्हारा स्वागत है,
हमारे जीवन में तुम्हारा स्वागत है...
देखो तुम्हारे नाना-नानी, मामा-मामी, मौसा-मौसी,
ख़ुशी के मारे फूले नहीं समा रहे हैं,
तुम्हारे दर्शन को,
पलकें बिछा रहे हैं...
मेरे प्यारे बच्चे,
गर्भ में तुम्हारा स्वागत है,
हमारे जीवन में तुम्हारा स्वागत है...
सारा परिवार,
तुमसे बहुत प्यार करता है,
मेरे गर्भ में और सबके हृदय में,
अब सिर्फ तुम्हारा वास रहता है,
तुम सदा स्वस्थ प्रशन्न रहो,
बुद्धि बल, धन बल, आत्मबल सम्पन्न बनो...
मेरे प्यारे बच्चे,
गर्भ में तुम्हारा स्वागत है,
हमारे जीवन में तुम्हारा स्वागत है...
तुम हमसे मित्रवत रहो,
हम तुमसे मित्रवत रहें,
हम सब एक दूसरे के लिए,
सदा सहयोगी व संवेदनशील रहें,
ऐसी ईश्वर से हम सब प्रार्थना कर रहे हैं,
उनकी कृपा दृष्टि की आशा कर रहे हैं...
मेरे प्यारे बच्चे,
गर्भ में तुम्हारा स्वागत है,
हमारे जीवन में तुम्हारा स्वागत है...
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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