*मृत बनाम जीवंत शक्तिपीठ मंदिर*
जिस शक्तिपीठ में, जिस मंदिर में..
आरती तो हो.. मगर जनजागृति न हो तो,
तो वह मृत है..शक्तिहीन है...
जिस शक्तिपीठ में, जिस मंदिर में...
भगवान की मूर्ति हो.. मग़र धर्म संरक्षण हेतु प्रयास न हो..
तो वह मृत है..शक्तिहीन है...
जीवंत वह शक्तिपीठ है.. जीवंत वह मंदिर है..
जहां नित्य यज्ञ हो...कम से कम 25 परिवार वहां से जुड़े हो..
जनजागृति हो.. धर्म संरक्षण के प्रयास हो..
वह जीवंत है, वह शक्ति स्त्रोत है...
जिस शक्तिपीठ में..जिस मंदिर में..
बाल संस्कार चलता नहीं...बच्चे मंदिर आते नहीं..
युवा जहां धर्म चर्चा करते नहीं..युवा मंडल चलते नहीं..
वह मंदिर बूढ़ा है.. वह शक्तिपीठ अशक्त है..
जिस शक्तिपीठ में.. जिस मंदिर में..
भारतीय सदग्रंथ का..युगसाहित्य का विस्तार नहीं...
जहां ज्ञानरथ सड़को पर दौड़ता नहीं..
जन जन तक जहां युगसाहित्य पहुंचता नहीं..
वह शक्तिपीठ ज्ञान विहीन है..वह मंदिर प्राण हीन है...
माता आरती - प्रसाद से नही...
अपने बच्चों को मंदिर प्रांगण में देख खुश होती है...
धर्म रक्षण हेतू प्रयास देख खुश होती है..
बच्चों को संस्कार देते हुए..
चलते बाल संस्कार देख खुश होती है..
तब उस शक्तिपीठ में माता की कृपा होती है,
वह मंदिर जीवंत व प्राण ऊर्जा सम्पन्न होता है...
यदि आपको अपने शहर के..
शक्तिपीठ का पता याद नहीं..
नज़दीकी मंदिर का पता नहीं..
उससे आपका जुड़ाव नहीं..
तो यह आपके गुरुदीक्षा पर प्रश्न चिन्ह है..
यह आपकी धर्म निष्ठा पर प्रश्न चिन्ह है..
क्रिश्चियन चर्च से सपरिवार जुड़ता है..
मुश्लिम मस्जिद से सपरिवार जुड़ता है..
हिन्दू मंदिर से सपरिवार जुड़ नहीं रहा..
अपनी भारतीय संस्कृति व साधना पद्धति से बच्चों को जोड़ नहीं रहा..
तो लव जिहाद भविष्य में अवश्य होगा..
कोई दूसरे धर्म का आपके बच्चे का ब्रेन वाश अवश्य करेगा..
फ़िर आप बस हाथ मलते रह जाओगे..
बाद में सिर्फ पछताते रह जाओगे...
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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