*धर्म संस्कृति के लिए कुछ तो करिए, यूं मदहोश लापरवाह न रहिए*
माना कमाना जरूरी है,
घर गृहस्थी बनाना जरूरी है,
परिवार पालना जरूरी है,
स्वयं का कैरियर बनाना भी जरूरी है..
मग़र एक बात बताओ,
क्या समाज तुम्हारा नहीं..
इसके प्रति उत्तरदायित्व तुम्हारा नहीं..
क्या भारतीय संस्कृति तुम्हारी नहीं..
इसके संरक्षण के लिए..
क्या तुम उत्तरदायी नहीं...
क्या समाज के बनने व बिगड़ने से...
तूम व तुम्हारे बच्चे प्रभावित न होंगे?
क्या गैर धर्म के सामाजिक समूह के बीच..
तुम स्वयं को व अपने परिवार को सुरक्षित रख सकोगे?
कश्मीरी पंडित भी लापरवाह हुए,
जाति पाति छुआछूत में उलझ गए,
स्वयं के ज्ञान पर अभिमान में खोए रहे,
स्वयं की तरक्की व कमाई में उलझ गए..
वह थोड़े स्वार्थी हुए व समाज के प्रति लापरवाह हुए..
अपनी धर्म संस्कृति को,
बच्चों की जड़ो में मजबूती से रोप न सके..
जानते हो धर्मांतरण तेज़ी से कश्मीरी पंडितों का हुआ,
कहीं छल से तो कहीं तलवार की नोंक पर धर्मान्तरण हुआ,
कश्मीरी पंडितों पर कत्लेआम उन्ही लोगों ने मचाया,
जिनके पूर्वज पण्डित थे व बाद में धर्मांतरित हुए...
उनको उनके ही देश में...
उनके ही कश्मीर से..
कत्लेआम करके भगाया गया..
अपने ही देश में बेघर बेरोजगार बनाया गया...
मदहोशी छोड़ो और जाग जाओ..
कैरियर के साथ साथ,
सामाजिक मजबूत समूह बनाओ..
धर्म संस्कृति से स्वयं गहराई से जुडो..
अपने बच्चों को भी धर्म संस्कृति से जोड़ो...
तुम आज जब धर्म की रक्षा करोगे...
तब यही धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा..
जब तुम आज समूह में जुड़ोगे..
तब कल यही समूह तुम्हारे साथ खड़ा होगा...
तुम यदि स्वार्थी आज बने,
तो कल विधर्मी तुम्हारी अर्थी भी उठने न देंगे...
आज का स्वार्थ..
कल तुम्हारा व तुम्हारे परिवार का...
जीवन व्यर्थ कर देगा...
अपने घर के पास के मंदिर से जुडो..
अपने जैसे लोगों के समूह तैयार करो..
ऑनलाइन-ऑफलाइन उनसे जुड़े रहो..
अपने समाज को सुरक्षित व संरक्षित रखने का हर सम्भव प्रयास करो..
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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