Friday, 22 April 2022

मेरा संबंध मेरे गुरु से और मेरे से इस का मूल्यांकन सिर्फ मेरा गुरु ही करता है और कर सकता है , वर्तमान में किसी में इतना समर्थ नहीं है कि मेरा व्यक्तिगत मूल्यांकन कर सके

 प्रश्न - Thanks didi , पर मुझसे पोस्ट पढ़ने वालों की गुलामी नही होगी। किसी के मेरे लिखे पोस्ट पर प्रतिक्रिया मेरे लिये मायने नहीं रखती। 


मेरा संबंध मेरे गुरु से और मेरे से इस का मूल्यांकन सिर्फ मेरा गुरु ही करता है और कर सकता है , वर्तमान में किसी में इतना समर्थ नहीं है कि मेरा व्यक्तिगत मूल्यांकन कर सके आपको अच्छी नहीं लगी हमारी बात तो इसके लिए हम क्षमा चाहते हैं आप हमारी बात को त्याग दे।


उत्तर - बेटे, आपका या हमारा प्राइवेट स्तर पर कोई मूल्यांकन नहीं करता। हम घर मे कैसे रहते व बात करते है उस पर कोई मूल्यांकन नहीं होता।


पब्लिक डोमेन में जब हम कोई पोस्ट भेज रहे हैं वह वैसा ही हुआ कि हम घर से बाहर आ गए। अब दूसरे आपका मूल्यांकन करेंगे। आपके या हमारे चाहने न चाहने से कोई फर्क नहीं पड़ता।


सभी का डायरेक्ट सम्बंध गुरु से अंतर्मन में है। लेकिन बाहर वह क्या बोल रहा है क्या लिख रहा है उस पर पाठक गण अवश्य प्रतिक्रिया देंगे। 


गुरु के महान होने मात्र से शिष्य महान नहीं होता। गुरु दीक्षा लेंने मात्र स कोई श्रेष्ठ शिष्य नहीं बनता। गुरु का भय शोशल मीडिया पर दिखा कर किसी का मुंह बंद नहीं किया जा सकता व किसी को प्रतिक्रिया देने से रोका नहीं जा सकता।


अतः जब पब्लिक डोमेन में पोस्ट डाल रहे हो तो एक अच्छे लेखक की तरह अपनी पोस्ट के पाठक से खुले मन से प्रतिक्रिया स्वीकार करो।


प्रत्येक व्यक्ति में सुधार के अवसर होते हैं, अतः दिल से बुरा मत मानो। इस प्रतिक्रिया पर विचार करो। यदि कोई टिप्पणी आई है तो क्यों आई है। 


युद्ध हो या पोस्ट हो या रेस हो, आप अकेले नहीं होते। सामने वाला भी है, अतः मात्र गुरु की महानता पर दुसरो को असमर्थ कहना उचित नहीं।


तथ्य तर्क प्रमाण से लॉजिक दो और इस पर खुले हृदय से चर्चा करो। 


मेरी बात बुरी लगे तो क्षमा करना। 🙏🏻


अतः ग़ुलाम शब्द का मर्म समझ के बात पर प्रति उत्तर दो।


गुलामी इंसान स्वयं के मन की इच्छाओं की करता  है दुसरो की नहीं। 


कोई पति अपनी पत्नी का या कोई पत्नी अपने पति की गुलामी नहीं करती। दोनो अपनी इच्छाओं के और एक दूसरे से पूरी होने वाली इच्छाओं के गुलाम होते है।


कोई ऑफिस में काम करने वाला ऑफिस का गुलाम नहीं होता, वह अपनी सैलरी और उससे पूरी होने वाली इच्छाओं का ग़ुलाम होता है।


न कोई आपका गुलाम है न आप आपकी पोस्ट पढ़ने वाले के गुलाम है। 


पोस्ट पढ़ने वाला आपके व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रभावित होकर आपके पोस्ट से मिलने वाले लाभ का गुलाम बनेगा। आप अपनी पोस्ट द्वारा हुए गुरुकार्य व लोगो को पसन्द आये व उनमें बदलाव हो इस इच्छा के गुलाम बनेंगे।


मेरी बात बुरी लगे तो क्षमा करना। अहंकार अच्छा नहीं न स्वयं पर न गुरु पर.. न गुरु से जुड़ने पर ... 🙏🏻


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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