Wednesday 20 April 2022

प्रश्न - *आदर्श विवाह क्या है? क्या आजकल आदर्श विवाह के नियमो की उपेक्षा हो रही है? भड़काऊ मेकअप और बड़ी दावतों के आयोजन को आदर्श विवाह की श्रेणी में रखा जाएगा?क्या मात्र दान दहेज न लेना ही आदर्श विवाह है?*

 प्रश्न - *आदर्श विवाह क्या है? क्या आजकल आदर्श विवाह के नियमो की उपेक्षा हो रही है? भड़काऊ मेकअप और बड़ी दावतों के आयोजन को आदर्श विवाह की श्रेणी में रखा जाएगा?क्या मात्र दान दहेज न लेना ही आदर्श विवाह है?*


उत्तर - आत्मीय बेटी, आदर्श विवाह को समझने से पहले लोगो की मानसिकता को समझो।


सभी बुख़ार (fever) देखने में एक सा लगता है, लेकिन यदि जड़ में जाओ(root cause analysis)  तो कारण अलग अलग होते हैं..किसी फीवर का कारण डेंगू, तो किसी का इंफेक्शन, किसी कोविड तो किसी का अन्य कारण होता है। ऐसे ही आदर्श विवाह जो दिख रहा है उसके जड़ में सभी लोगों की उसको लेकर मानसिकता अलग अलग है। सबके अपने अपने लाभ-नुकसान के गणित है।


सबसे पहले जानने की कोशिश करो कि आदर्श विवाह की परिभाषा से लोग क्या समझ रहे हैं? उनकी मानसिकता क्या है?


अधिकतर लोग आदर्श विवाह का अर्थ दहेज लेन देन का न होना मानते हैं। 


कुछ लोग कम खर्च में शादी को आदर्श विवाह मानते हैं।


कुछ लोग अयोग्य कन्या को योग्य वर के साथ सस्ते में विवाह का एक माध्यम मानते हैं।


मग़र वस्तुतः आदर्श विवाह का सही अर्थ है यज्ञ के माध्यम से देवताओं और दोनो ओर के मुख्य परिवार जन की उपस्थिति में दो वर वधु का सादगीपूर्ण ढंग से विवाह करना व वैदिक धर्म अनुसार आदर्श गृहस्थी को चुनना। 


कन्या व वर दोनो का योग्य होना आदर्श विवाह की अनिवार्यता है। दोनो वर वधु के संस्कार अच्छे होने चाहिए। दोनों में 19-20 या 18-20 में अंतर हो सकता है, लेकिन यदि शिक्षा में बड़ा अंतर हुआ व आर्थिक स्टेटस में दोनों परिवार में बड़ा अंतर हुआ तो भी विवाह लंबे समय तक टिकता नहीं।


पहले फोटोग्राफी सम्भव नहीं थी अतः विवाह के गवाह दोनो तरफ के अड़ोसी पड़ोसी व रिश्तेदार होते हैं। अब फोटोग्राफी है तो सबूत व गवाह के लिए विवाह की तस्वीरें ही पर्याप्त है। विवाह रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।


जानते हो मूल वैदिक समय मे विवाह के समय उपहार में वस्तुतः नई गृहस्थी को शुरू करने हेतु दोनो परिवार के लोग और रिश्तेदार आवश्यक समान देकर नए जोड़े की नई गृहस्थी शुरू करने में मदद करते थे। यह नियम विकृत रूप में दहेज बन गया, स्वेच्छा से दी मदद मनचाही दहेज की सूची बन गयी।


वर वधु वरण में दान व दहेज़ दोनों की उपेक्षा करना, लेन देन न करना। मेकअप की दुकान लड़की व लड़के का न बनना आदर्श विवाह है। स्वेच्छा से जरूरी मदद आदर्श विवाह का हिस्सा है।


भड़काऊ मेकअप, बड़ी दावत, ढेर सारे घराती-बराती आदर्श विवाह का हिस्सा हो नहीं सकते...


वर्तमान समय में शादी में सजना सभी लड़की व लड़कों को पसन्द है क्योंकि वीडियो रिकॉर्डिंग और विवाह का अल्बम खराब हो जाएगा। जो जैसा है वह विवाह में वैसा दिखना ही नहीं चाहता। अर्थात रूप सज्जा व महंगे वस्त्र आभूषण की अनिवार्यता को देखते हुए लोगों ने आदर्श विवाह में इसे सम्मिलित कर लिया। ओरिजिनल न मिला तो नकली पहन लेते हैं।


अब घराती व बाराती सोचते हैं कि शादी में अच्छा भोजन तो हमें मिलना ही चाहिए। माता पिता की मानसिकता होती है कि सबके शादी में खाया तो खिलाना तो पड़ेगा ही...


आदर्श विवाह कैसे होगा यह दोनो पक्ष तय करते हैं, लड़के वाले बोलते हैं भाई दहेज नहीं ले रहे मग़र थोड़ा खाना पीना रिश्तेदारों का ठीक रखना इज्जत का सवाल है।


मंदिर वाले देखते हैं कि भाई इतने सारे लोग आएंगे तो उनका खर्च केलकुलेट करके व मंदिर की दक्षिणा कैलकुलेट करके वो भी बजट बता देते हैं।


तो आदर्श विवाह के आधुनिकीकरण व विकृत व्यवस्था में रूप सज्जा, महंगे परिधान, बड़ी दावत, ढेर सारे घराती बराती लगभग सभी होते हैं, मात्र विवाह में दहेज का खर्च और बड़े  बैंक्वेट हॉल/होटल का खर्च बचता है।


कटु सत्य यह है, कि आदर्श विवाह मूल स्वरूप में होते नहीं है। आदर्श विवाह में मात्र यज्ञ के माध्यम से लड़की व लड़के सादे व मूल स्वरूप व स्वच्छ सुंदर वस्त्रों में विवाह कर यज्ञ प्रसाद में शुद्ध सात्विक भोजन कर विदाई हमने अभी तक नहीं देखा नहीं है।


Something is better than nothing... कुछ न होने से कुछ होना अच्छा है। पूरी तरह से आदर्श विवाह न हो पाए तो भी जितना सम्भव है उतने विधि से आदर्श विवाह कर ले वो भी प्रशंशनीय है। स्वागत योग्य है। 


🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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