प्रश्न - मेरे पति ने ही मेरे साथ धोखाधड़ी की एवं सम्पत्ति बेंच दिया, मुझे और मेरे बच्चों के लिए एक बार सोचा तक नहीं। इतने साल के रिश्ते में मुझे दुसरो से पता चला कि सम्पत्ति बिक गई एवं पैसा ससुर जी को दे आये। समझ नहीं आ रहा क्या करूँ? मेरा रोकर बुरा हाल है वह मैं इस धोखे से टूटकर बिखर गई हूं।
उत्तर- मुझे दुःख हुआ सुनकर कि तुम्हारे साथ ऐसा धोखा हुआ। लेकिन डियर एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, तुमने वह पहलू बताया जो पति न किया। वह पहलू नहीं बताया कि तुमने उसके साथ क्या किया?
तुम दोनो विवाह के इतने वर्षों बाद अच्छे मित्र नहीं बन सके एवं एक दूसरे का दिल नहीं जीत सके।
यंत्रवत विवाह किया यंत्रवत शारीरिक सम्बंध बनाकर बच्चे पैदा हो गए। आपके पति बायलोजिकल पति व पिता हैं लेकिन भावनात्मक व आत्मीयता के स्तर पर उनका आपसे व आपके बच्चों से जुड़ाव नहीं हक़।
भावनात्मक सम्बन्ध एवं एक दूसरे के हृदय में सम्मान एवं विश्वास का अकाउंट खुला ही नहीं।
जब जिस रिश्ते में प्रेम,विश्वास और सम्मान ही नहीं वह फ़िर बाहर से भले अपना हो अंदर से तो टूटकर बिखर गया है।
अतः सबसे पहली चीज कि आपका पति कभी भावनात्मक रूप से आपका अपना था ही नहीं, जो अपना ही नही वह धोखाधड़ी करे तो बुरा नहीं मानना चाहिए। शोक नहीं मनाना चाहिए।
स्वयं व बच्चे की सुरक्षा व धन हेतु भावनात्मक होकर सोचने से कोई लाभ नहीं, अपितु बुद्धि चलाकर कार्य करें।
जहां समस्या है वहीं समाधान है, समस्या मत गिनों समाधान ढूँढो
आम मूर्ख जनता - व्यक्ति के बारे में बात करती है, वह व्यक्ति ऐसा है वैसा है।
सामान्य जनता - घटना के बारे में बात करती है कि मेरे साथ ऐसा हुआ वैसा हुआ..मेरे साथ ही क्यूँ हुआ
बुद्धिमान व्यक्ति - जो हो गया वह क्यूँ व किस कारण हुआ..इसके समाधान हेतु मैं क्या करूँ। इस व्यक्ति व घटना को कैसे हैंडल करूँ?
समाधान मांगने व निज समझ को विकसित करने के लिए माता से बुद्धि मांगो सामर्थ्य मांगो। योद्धा की तरह इस घटना को हैंडल करो।
शोकग्रस्त अर्जुन की तरह भावनात्मक रूप से सोचकर रोकर चिंता करके समाधान कभी नहीं मिलता। कृष्ण की श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ो और अपने युद्ध के लिए गीता के ज्ञान से आलोकित अर्जुन की तरह अपनी बुद्धि का गांडीव उठाओ और अपना युद्ध धर्म से लड़ो। बच्चों के अधिकार के लिए लड़ो।
बुद्धि प्रयोग से गहन चिंतन से समाधान ढूढने पर समाधान अवश्य मिलता है। जिन खोजा तिन पाईंया गहरे पानी पैठ...जो खोजेगा उसे समाधान अवश्य मिलेगा।
तुम्हारा पति तो मात्र सम्पत्ति बेचा है, मैं ऐसे ऐसे पति को जानती हूँ जिन्होंने अपनी पत्नी को ही बेंच डाला है या उसे झूठे आरोप में जेल में डाल दिया इत्यादि अनेक अत्याचार किये है। ऐसे ऐसे पत्नियों को जानती हूँ जिन्होंने अपने पति को पागल बनाकर पागलखाने में भेज दिया या झूठे आरोप में जेल भेज दिया।
स्वार्थ में जीवनसाथी की हत्या करने के अनेक उदाहरण हैं। अतः आवश्यक समझदारी रखें।
आप दिल के अच्छे हिरण की तरह हैं तो यह न सोचें कि जंगल मे आपका शिकार न होगा। हिरन को हिरन मिला या गाय तो ठीक है, जीवनसाथी के रूप में मांसाहारी जीवन मिला तो समस्या होगी ही।
अतः कलियुग है, अपने जीवनसाथी पर अंधी श्रद्धा व विश्वास न करें और बेहोश जीवन न जियें। समझदारी से आंख खोलकर रिश्ता निभाएं, जागरूक व चैतन्य रहें। इमोशन फूल न बने।
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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