Monday 16 May 2022

तनाव का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक उपचार:-

 तनाव का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक उपचार:-


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र एवं सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति समस्याओं को हैंडल करने हेतु जरूरी मनोबल एवं आत्मबल नहीं एकत्रित कर पाता है। आत्मबल का कारक - सूर्य है और मनोबल का कारक - चन्द्र है। यदि सूर्य एवं चन्द्र को मजबूत कर लिया जाय तो तनाव को व्यक्ति बड़ी आसानी से सम्हाल सकेगा। उससे मुक्त हो सकेगा।


तनाव को मिटाने के लिए तनाव की गाँठो को समझकर उसका उपचार  करना होगा उसे खोलना होगा। तनाव उपचार में नाड़ी शोधन प्राणायाम, श्रीमद्भागवत गीता का स्वाध्याय एवं चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र जप व पूर्णिमा का ध्यान सहायक है।


जिन्हें तनाव की समस्या हो वह निम्नलिखित उपचार अपनाएं:-


40 दिन का उपचार क्रम -


सुबह - 

1- तीन माला ग़ायत्री मन्त्र की

2- एक महामृत्युंजय मंत्र की

3- उगते सूर्य का ध्यान

4- अर्घ्यदान तांबे का बर्तन 

5- नाड़ी शोधन प्राणयाम


शाम को बिस्तर पर

1- चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र 108 बार मौन मानसिक जप


श्रीमद्भागवत गीता नित्य पढ़नी है। सुबह या शाम सुविधा अनुसार पढ़ लें। युगसाहित्य में पुस्तक "हमारी वसीयत विरासत", "मानसिक संतुलन" , "हारिये न हिम्मत", "शक्ति संचय के पथ पर" और "अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार" भी थोड़ा थोड़ा पढ़ें।


साप्ताहिक -

1- गुरुवार व्रत (एक समय फलाहार और सूर्यास्त के बाद केवल सेंधा नमक भोजन शाम को)

2- गाय को चने की दाल और गुड़ का दान

3- निष्कासन तप - मन जो बातें तनाव दे रही हैं उन्हें कागज़ में विस्तार से लिखें फिर तीन बार गहरी श्वांस लेकर उसे जलाकर या फाड़कर नष्ट कर दें।

4- विलोम शब्द जैसे बच्चों में पढ़ा था वैसे ही एक पेज में स्वतः नकारात्मक विचारों के विलोम शब्द सकारात्मक विचार लिखें। उदाहरण - यदि मन में वासना जगे तो ब्रह्मचर्य कैसे पाएं के कुछ पॉइंट्स लिखे और मन मे बीमारी का भय उठे तो स्वास्थ्य लाभ कैसे मिले उसे लिखें।

5- गुरुवार को पीला वस्त्र ही पहनना है।

6- साप्ताहिक यज्ञ में आहुति


पाँच ग़ायत्री मन्त्र

एक चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र

एक सूर्य ग़ायत्री मन्त्र

एक पितृ ग़ायत्री मन्त्र

तीन महामृत्युंजय मंत्र


यज्ञ में हवन सामग्री में थोड़ा गुड़ और घी अवश्य मिला ले आहुति के लिए


यज्ञ में आहुति मन्त्र -


5 आहुति *ग़ायत्री मन्त्र* - ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात स्वाहा इदं *गायत्र्यै* इदं न मम


1 आहुति *पितृ ग़ायत्री मन्त्र आहुति*


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात स्वाहा इदं पितर देवताभ्यो इदं न मम


1 आहुति *सूर्य ग़ायत्री मन्त्र*


ॐ भाष्करायै विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्न: सूर्य: प्रचोदयात स्वाहा इदं सूर्य: इदं न मम


1 आहुति *चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र*


ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे, अमृत तत्वाय धीमहि। तन्न: चंद्र: प्रचोदयात स्वाहा इदं चन्द्राय इदं न मम


3 आहुति *महामृत्युंजय मंत्र* - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टि वर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात स्वाहा इदं महामृत्युंजयाय इदं न मम


कोई छोटी सुपारी या किशमिश पूर्णाहुति में डाल दें


इस यज्ञ के लिए गोमय दीपक या सूखे नारियल के गिरी के छोटे टुकड़ों का प्रयोग करें।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को तनाव की समस्या है तो उनके लिए चांदी के आभूषण धारण करना लाभदायक रहता है। चांदी को चंद्रमा की धातु माना गया है और चंद्रमा मन का कारक होता है। चांदी की चीजें पहनने से शीतलता प्राप्त होती है। माना जाता है कि इससे धीरे-धीरे तनाव दूर होने लगता है और शांति प्राप्त होती है।


💐ज्योतिषाचार्य श्वेता चक्रवर्ती 


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