मानसिक अपाहिज़ न बनें, स्वयं के अस्तित्व को आध्यात्मिक अभ्यास से मजबूत बनायें...
बार बार आप किसी की सहायता से कुछ समय के लिए चिंतामुक्त हो सकते हैं, लेकिन हमेशा के लिए नहीं हो पाएंगे। बार बार आप परेशान होने पर एक मानसिक माता या पिता की तलाश करेंगे जो आपके इमोशन को समझें और आपको सम्हाले। छोटे बच्चे माता पिता का आश्रम ढूढ़े तो ठीक है, युवाओं को तो अपने आपको मानसिक मजबूत बनाना ही होगा।
यदि आप मानसिक अपाहिज रहेंगे तो कोई भी आपका फ़ायदा उठा लेगा और आपको ग़ुमराह कर सकता है।
अतः मानसिक अपाहिज़ कभी न बने और मानसिक मजबूती के लिए श्रीमद्भागवत गीता और रामायण जैसी पुस्तकों का कुछ पन्ने का रोज स्वाध्याय करें। घर मे उस पर चर्चा करें।
युग साहित्य पढ़ें, अच्छी मोटिवेशनल व प्रेरणा दायक पुस्तक पढ़ें, महापुरुषों के जीवन चरित्र पढ़े व प्रेरणा लें। अच्छी पुस्तक जीवंत देवता है इनके स्वाध्याय से आत्मा तत्काल प्रकाशित होती है। मानसिक मजबूती आती है।
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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