Sunday, 8 May 2022

प्रश्न - गर्भावस्था में योग करना कितना सुरक्षित है एवं क्यों आवश्यक है?

 प्रश्न - गर्भावस्था में योग करना कितना सुरक्षित है एवं क्यों आवश्यक है?


उत्तर - शरीर हमारा करीब 206 हड्डियों का ढाँचा है, जो करीब 600 मांसपेशियों से कसकर बांधकर व्यवस्थित किया हुआ है। इसमें करीब 37.2 ट्रिलियन कोशिकाएं(सेल्स) है। क़रीब 60,000 मील लंबी रक्त की नसें हैं। 78 मुख्य अंग इसके भीतर हैं जो शरीर के संचालन में मदद कर रहे हैं जैसे फेफड़े, हृदय, पेट, किडनी इत्यादि..


अब इतने कॉप्लेक्स मानव शरीर के सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने के लिए और इससे बेहतर आउटपुट लेने के लिए  महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग अर्थात राज योग करने को कहा..


उन्होंने कहा वस्तुतः योग  'चित्त की वृत्तियों के निरोध' (योगः चित्तवृत्तिनिरोधः) है। क्योंकि चित्तवृत्ति वस्तुतः 80% पशुवत जन्मजात होती हैं उन्हें  पेट, प्रजनन, मल-मूत्र विसर्जन, शयन के अतिरिक्त अन्य कार्य करने में आलस्य आता है।  10% इंसान का और 10% मन दैवीय गुणों से युक्त होता है।


मानवीय व दैवीय कार्य शिक्षा, ज्ञानार्जन, योग, ध्यान इत्यादि कार्य व्यक्ति के 10% चैतन्य मन को एक तरह से शुरू शुरू में रिंग मास्टर बनकर अपने 80% पशु मन को इंसान बनाने के लिए जुटना पड़ता है। फिर इंसान से दैवीय सत्ता बनाने का संघर्ष तो और भी कठिनाई से करना पड़ता है।


पतंजलि ने पशु मन को मानव और देवमानव बनाने के लिए जो फार्मूला दिया। यह 'योगसूत्र' नाम से योगसूत्रों का एक संकलन किया जिसमें उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए अष्टांग योग (आठ अंगों वाले योग) का एक मार्ग विस्तार से बताया है। अष्टांग योग को आठ अलग-अलग चरणों वाला मार्ग नहीं समझना चाहिए; यह आठ आयामों वाला मार्ग है जिसमें आठों आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है। योग के ये आठ अंग हैं:

१) यम, २) नियम, ३) आसन, ४) प्राणायाम, ५) प्रत्याहार, ६) धारणा ७) ध्यान ८) समाधि


यह तो सबको करना ही चाहिए, लेक़िन गर्भिणी क्या क्या कर सकती है? एवं क्यों करे?


206 हड्डियों और 600 मांसपेशियों को लचीला योग-व्यायाम से गर्भिणी ने नहीं बनाया तो शरीर अकड़ा रहेगा। नॉर्मल डिलीवरी के लिए गर्भाशय, गर्भ निकासी मार्ग और जांघों में जो आवश्यक लचीलापन चाहिए वह नहीं मिलेगा। इस तरह सिजेरियन डिलीवरी तय है। फिर स्त्री रोना रोयेगी.. डॉक्टर तो लुटेरे हैं..सिजेरियन ऑपरेशन कर दिया..अब यह कौन पूँछे बहन तुमने नॉर्मल डिलीवरी के लिए कितना योग व्यायाम व ध्यान किया था?


जब स्त्री योग नहीं करेगी तो स्वतः पशुवत मनःस्थिति की होगी तो एक पशु को ही जन्म देगी। जिसे पढ़ाना दुष्कर कार्य होगा क्योंकि उसके मन को मानव बनाने की जो प्रक्रिया योग व्यायाम व ध्यान से गर्भिणी को करनी चाहिए थी वह उसने किया ही नहीं। फिर बच्चे के जन्म के बाद रोती रहेगी कि मेरा बच्चा तो मेरी सुनता ही नहीं, पढ़ता ही नहीं... यह तो शैतान बन गया है..अब इन्हें कौन समझाए कि बहन शैतान व पशु तो आपने ही अपने गर्भ में गढ़ा है तो इंसानी व्यवहार आपको कैसे बच्चे मे मिलेगा?


प्रत्येक स्त्री व पुरूष को गर्भ धारण के कम से कम छः महीने पहले से योग, व्यायाम, ध्यान से तन-मन को योग्य बनाना चाहिए। 


गर्भधारण के बाद योग्य चिकित्सक से अपना चेकअप करवाते रहें और सलाह लेकर योग प्रारम्भ करें।


गर्भ धारण के बाद केवल सूक्ष्म योग और गर्भिणी के लिए सुरक्षित योग ही किसी प्रशिक्षित योग गुरु के मार्गदर्शन में सीख कर करना चाहिए।


प्रत्येक भावी माता पिता के 90% केस में यह हाथ में है कि बच्चा नॉर्मल होगा या सिजेरियन? 


90% केस में भावी माता के हाथ में ही है कि होने वाला बच्चा पशुवत मानसिकता का होगा या इंसानी मानसिकता का होगा या दैवीय गुण सम्पन्न होगा?


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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