प्रश्न - ग़ायत्री चालीसा 9 दिन करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर - चालीस पदों में जब ईश्वर के गुणों और शक्तियों का वर्णन करते हुए उन की स्तुति-प्रार्थना की जाती है, उनके गुणों को स्वयं में धारण करने की चाह की जाती है। तब उसे चालीसा कहते हैं।
उदाहरण - ग़ायत्री चालीसा, हनुमान चालीसा, शिव चालीसा इत्यादि
धातु हो या शब्द या भाव यदि बार बार रगड़े गए या बोले गये या चिंतन किये गए तो वह ऊर्जा उतपन्न करेंगे ही।
आप दोनो हाथ बार बार रगड़ो तो भी ऊर्जा का सृजन हो जाएगा। पत्थर रगड़ो तो आग उतपन्न हो जाएगी।
9 दिन में 108 चालीसा पाठ से हम एक तरह का संकल्पित अनुष्ठान करते हैं। 40*108= 4320 पद हम पाठ करते हैं।
ईश्वरीय स्तुति बारम्बार करने से हमारी चेतना ईश्वरीय गुणों से ओतप्रोत होने लगती है व इन दैवीय शब्दो के बार बार बोलने से उतपन्न घर्षण से ऊर्जा उतपन्न होती है।
इस ऊर्जा का सकाम उपयोग या निष्काम उपयोग कर सकते हैं।
इस बार यह ऊर्जा लोकहित लगाएं - मनुष्य में देवत्व के उदय और धरती पर स्वर्ग अवतरण के लिए स्वयं को योग्य बनाने हेतु उपयोग करें।
जीवन में व्यक्ति कई तरह की समस्याओं से मनुष्य परेशान रहता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कई तरह के दोष होते हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है। इन सभी समस्याओं का समाधान श्री ग़ायत्री चालीसा में है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रोजाना ग़ायत्री चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में किसी भी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। ग़ायत्री कलियुग की कामधेनु है, ग़ायत्री माता की चालीसा इस कलयुग में जीवन की समस्त समस्याओं का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक समाधान हैं। माता ग़ायत्री जी की असीम कृपा जिस व्यक्ति पर हो जाए, उसका जीवन आनंद से भर जाता है। ग़ायत्री चालीसा की हर पंक्ति महामंत्र है। हर व्यक्ति को रोजाना ग़ायत्री चालीसा का पाठ करना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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