प्रश्न - मासिक असौच के समय विशेष पर्व, जन्मदिन, विवाह दिन,करवा चौथ व विशेष त्यौहार के दिन पूजन कैसे करें?
उत्तर - धर्म अनुसार मासिक अशौच में पूजन वर्जित है।
लेकिन यदि कोई विशेष दिन या पर्व है तब के लिए विधान -
पूजन के दिन शुद्धि हेतु दस स्नान निम्नलिखित इन 10 चीजों से करे स्नान करें- मिट्टी, गाय का गोबर, गाय का दूध, गाय का घी, गाय का पंचगव्य, भस्म, अपामार्ग, कुशा+दूर्वा, शहद एवं गंगाजल आदि 10 पदार्थो से स्नान किया जाता है। आयुर्वेद में मृतिका, भस्म, गोमय, कुशा, दूर्वा आदि सभी स्वास्थ्यवर्द्धक एवं रोगनाशक मानी गई है।
यदि यह दस्य स्नान सम्भव नहीं है तो तुलसी के वृक्ष के नीचे की एक चुटकी मिट्टी घर मे किसी से मांग ले। उस मिट्टी को एक बाल्टी पानी मे घोल ले। सिर धोकर नहा लें।
स्नान के वक्त निम्नलिखित मन्त्र पढ़े :-
स्नान मंत्र - गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
ॐ ह्रीं गंगायै, ॐ ह्रीं स्वाहा
कहा जाता है इस मंत्र का जाप नहाते समय करना चाहिए और इस मंत्र का अर्थ ये है कि, ''हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों! मेरे स्नान करने के इस जल में आप सभी पधारिए।'' मुझे शुद्ध व पवित्र कीजिये।
साफ वस्त्र इत्यादि पहन कर पूजन कर लें। स्नान के बाद 6 घण्टे तक यह स्नान शुद्धि देता है। उसके बाद भी यदि पूरे दूसरे वक्त भी पूजन करना है तो पुनः इस विधि से स्नान कर दूसरे साफ धुले वस्त्र पहन कर पूजन करें।
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