Tuesday, 28 June 2022

मोबाईल की एडिक्शन से कैसे मुक्त हों?

 28 जून 2022

आज की काउंसलिंग - 20 वर्षीय बेटी के प्रश्न व गुरु कृपा से दिये हमारे उत्तर - 


बेटी - *मोबाईल की एडिक्शन से कैसे मुक्त हों?*


श्वेता - एक कहानी सुनो, एक नशे की लत से परेशान युवक व उसकी पत्नी एक संत के पास समाधान हेतु पहुंचे। कहा नशा करना नहीं चाहता मग़र यह नशा छूट नहीं रहा।


संत ने कहा - तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मैं दे दूंगा पहले तुम मेरे शिष्य की मदद करो। वह अपना हाथ मटके से नहीं निकाल पा रहा। मटके का मुंह सकरा है और यह मुट्ठी में चने बांध कर निकालने की कोशिश कर रहा है। कह रहा है चने ने मुझे पकड़ रखा है।


युवक ने शिष्य से कहा - इस विधि से बंदर पकड़े जाते हैं क्योंकि वह मूर्ख होते है वह नहीं जानते कि यदि मुक्ति शिकारियों से चाहिए तो चने की लालच छोड़ हाथ निकालकर भागना होगा। तुम तो मनुष्य हो बुद्धिमान हो, निर्जीव वस्तु चना भला मनुष्य को कैसे पकड़ सकता है? तुम्हारी लालच ने उसे पकड़ रखा है, चना छोड़ो तो हाथ बाहर आ जायेगा।


शिष्य मुस्कुराया और बोला - नशा भी तो चने की तरह निर्जीव है, उसने तुम्हे नहीं पकड़ा है। तुम्हारी नशे की लालच ने उसे पकड़ रखा है। तुम चाहोगे तो उसे छोड़कर मुक्त हो सकते हो।


बेटी - तो इसका अर्थ यह हुआ कि मोबाईल को मनोरंजन की लालच से मैंने ही पकड़ रखा है। मुझे ही इसे छोड़ना पड़ेगा।


श्वेता - हाँजी, मोबाईल निर्जीव है, वह तुम तक स्वयं नहीं आ सकता। तुम्हारे मनोरंजन की अति लालच ने एडिक्शन दे रखा है। तुम ही स्वयं के कैरियर की दुश्मन हो तुम ही स्वयं के कैरियर की सहायक मित्र हो। अति मनोरंजन की लालच छोड़ दो, एडिक्शन छूट जाएगा।


बेटी - *यदि किसी लड़की को किसी लड़के ने प्रपोज किया पहले, फिर कुछ दिन के बाद अब इग्नोर कर रहा है। लड़की अपमानित महसूस कर रही है फिर भी उससे लगाव व उसे मैसेज करना बंद नहीं कर पा रही। वह क्या करे?*


श्वेता - एक कहानी सुनो, एक तानाशाह लोगों पर अत्याचार करता, फिर भी लोग उसे सलाम करते। एक पड़ोसी राज्य के युवक को यह माजरा समझ नहीं आया। उसने तानाशाह से पूँछा, कि यह सब तुमने कैसे किया? तानाशाह ने डेमो दिखाया।


तानाशाह ने एक मुर्गी मंगवाई - उसे दाने डाले व उससे दोस्ती कर ली। फिर दूसरे दिन हाथ में दाना लेकर वह बैठा जब मुर्गी आयी तो उसने उसके पंख बड़ी दयाहीनता से नोचे व मुर्गी लहूलुहान हो गयी और उससे दूर भागने लगी। मुर्गी को पुनः उसने अगले दिन थोड़े दाने दिए और पुनः पास आने पर उसके समस्त पंख नोच डाले वह दर्द से तड़फ रही थी। अगले दिन पुनः उसे कुछ दाने डाले तो मुर्गी उसके पास आकर पुनः दाने चुगने लगी। 


तानाशाह ने युवक से कहा मेरे राज्य के लोग इस मुर्गी की तरह बेफकूफ है। थोड़े से लालच के कारण मेरे अत्याचार सहते हैं।


बेटी - जो लड़कियों को प्रेम में फंसा कर परेशान करते हैं क्या वो तानाशाह की तरह है।


श्वेता - हाँजी, ऐसे लड़के किसी लड़की को प्रेम व उसकी तारीफ़ के कुछ दाने डालते हैं, लड़की मुर्गी की तरह उनके जाल में फंसती है। फिर वो उनका शारीरिक मानसिक शोषण करते हैं। मुर्गी की तरह मानसिक यातना व अपमान सहने के बावजूद वो लड़की मूर्ख मुर्गी की तरह पुनः उस लड़के प्यार व तारीफ़ के दाने पाने की लालच में उसके पीछे लगी रहती है।


यदि तुम मूर्ख मुर्गी हो तो उस लड़के के इग्नोर करने व तुम्हे उपेक्षित करने के बाद भी उसके पीछे पड़ी रहो। बुद्धिमान हो तो स्वयं को सम्हालो और उससे प्यार पाने की लालच छोड़ दो। उसे छोड़ दो।


बेटी - मुझे लगता है कि मैं उसके बिना जी नहीं पाऊंगी..


श्वेता - कभी तुमने सुना है कि डॉक्टर ने किसी को कहा हो यह व्यक्ति मरने वाला है इसके प्रेमी/प्रेमिका को बुलाओ जिससे यह सांस ले सके? इसे दवा, इंजेक्शन, भोजन इत्यादि की जरूरत नहीं प्रेमी/प्रेमिका के आने मात्र से ठीक हो जाएगा।


बेटी - ऐसा तो कहीं नहीं सुना


श्वेता - फिल्में युवाओं का ब्रेन वाश करके सिखाती है कि जिससे प्रेम किया व न मिला तो जिया नहीं जायेगा। लेकिन हकीकत यह है कि तुम्हारी तरह पिछले सात साल से काउंसलिंग बहुत लड़के लड़कियों की किया है, जो तुम्हारी तरह डायलॉग मार रहे थे। उन सभी को जिन्हें प्रेमनहीँ मिला दूसरे से शादी की है। सब जिंदा है बाल बच्चे वाले है। नई जिंदगी में खुश है। फिल्मी जिंदगी से बाहर आओ, हकीकत की दुनिया मे प्रेम न मिलने से कोई मरता नहीं।


बेटी - *मैं खुद की सेल्फ रिस्पेक्ट कैसे करूँ? स्वयं को बेहतर कैसे बनाऊं?*


श्वेता - सेल्फ रिस्पेक्ट अर्थात अपने स्वयं के अस्तित्व व जीवन का सम्मान करना।


यदि वर्तमान समय व्यर्थ के कार्य मे या आलस्य में बर्बाद कर रही हो तो तुम अपने जीवन को असम्मानित कर रही हो। 


यदि स्वयं को ऊंचा उठाने के लिए पढ़ रही हो, अपने कैरियर बनाने के लिए सही दिशा में मेहनत कर रही हो तो तुम सेल्फ की रिस्पेक्ट कर रही हो। 


महिला हो तो निज का शशक्तिकरण व सम्मान भीख में नहीं मिलेगा। इसे निज योग्यता पात्रता बढाकर अर्जित करना पड़ेगा।


किसी लकीर को बिना छुए छोटा करना हो तो उसके सामने बड़ी लकीर खींच दो।इसी तरह जो समाज तुम्हें छोटा व लाचार समझ हीन मान रहा है, तुम उस समाज में स्वयं को ऊंचा उठाने के लिए प्रयत्नशील हो जाओ। जब तुम कुछ बन जाओगी, यह समाज तुम्हारे सामने झुक जाएगा।


मेरे पास या किसी अन्य के पास कोई जादुई गोली नही जिसे तुम पा सको, तुम उसे खाकर मोबाइल एडिक्शन से मुक्त हो जाओ, उस लड़के से प्रेम पाने की लालच छोड़ दो, आलस्य दूर हो जाये और तुम्हारा पढ़ाई में मन लगने लग जाय।


रस्सी जैसी बंधी है, ठीक उसके विपरीत खोलने से खुलेगी। समस्या जैसे उपजी है ठीक वैसे विपरीत विधि से सुलझेगी। लालच तो छोड़ना ही पड़ेगा।


विवेक जगाने में ग़ायत्री मन्त्र जप, अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय और उगते सूर्य का ध्यान तुम्हारी मदद करेगा। 


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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