Friday 1 July 2022

आर्थर ऐश टेनिस प्लेयर की प्रेरक सत्य कहानी

 मेरी किस्मत ही खराब है.. मेरे साथ ही बुरा क्यों होता है?


आर्थर ऐश की प्रेरक सत्य कहानी


आर्थर ऐश अमेरिका के टॉप Tennis player थे। अपने करियर के शीर्ष पर वो दुनिया के नंबर 1 प्लेयर बने। 3 ग्रैंड स्लैम (Wimbledon, U.S. Open, Australian Open) जीतने वाले एकमात्र अश्वेत खिलाड़ी का रिकॉर्ड भी आर्थर ऐश के ही नाम है।


80के दशक में आर्थर की हार्ट-बाईपास सर्जरी हुई. इस ऑपरेशन के दौरान उन्हें चढ़ाये गये अशुद्ध खून की वजह से आर्थर HIV संक्रमित हो गए। सन 1992 में आर्थर ने सार्वजनिक रूप से लोगों को अपनी इस बीमारी के बारे में बताया।

आर्थर ऐश अब लोगों में HIV, AIDS के प्रति जागरूकता फ़ैलाने का काम करने लगे। सन 1993 में आर्थर ऐश की मृत्यु हो गई।


आर्थर को हर रोज दुनिया भर से उनके फैन्स व उनके प्रति संवेदना रखने वालों के कईयों पत्र मिला करते थे। एक बार उन्हें एक पत्र मिला जिसमें लिखने वाले ने उनसे सवाल किया – भगवान ने आपको इनती बुरी बीमारी देने के लिए क्यों चुना ?

इस सवाल का जो जवाब आर्थर ने दिया, वो लोगों के लिए एक अनोखी मिसाल बन गया।


Arthur Ashe ने लिखा –

पूरी दुनिया में 5 करोड़ बच्चे Tennis खेलना शुरू करते हैं, उनमें से 50 लाख बच्चे टेनिस की शिक्षा लेते हैं, जिसमें से 5 लाख बच्चे Professional Tennis की ट्रेनिंग तक पहुँचते हैं, फिर उनमें 50 हजार सफल होकर सर्किट तक आ पाते हैं, इसमें 5000 Grand Slam तक जाते हैं, जिनमें 50 विंबलडन पहुँचते हैं, जिसके बाद 4 सेमीफाइनल और आखिरी 2 लोग फाइनल्स में आते हैं।


जब मैंने उस विजयी कप को अपने हाथ में पकड़ा हुआ था, तो मैंने भगवान से ये कभी नही पूँछा –  *मैं ही क्यों* ?

और आज जब मैं दर्द में हूँ, तो मुझे भगवान से ये नहीं पूछना चाहिए –  *मैं ही क्यों* ?

जीवन में जो कुछ भी हमारे साथ अच्छा हुआ, हम कभी ये नहीं सोचते कि क्या हम उसके लायक थे ? क्या हमसे बेहतर लोग नहीं थे जो उस सफलता के हकदार थे ? क्या भगवान हमारे ऊपर दयालु नहीं थे ?

जी नहीं ! हम तो ढेरों ऐसी बातें, ऐसी घटनाएं भूल जाते हैं या जो कुछ मिला है उसकी कद्र नहीं करते हैं। जब बुरा टाइम आता है, तो फिर हमें सब कुछ बुरा दिखता है और हम हर चीज को कोसने लगते हैं। हम ईश्वर के उपकार और दया को भूल जाते हैं।


भगवान के न्याय पर कभी प्रश्न मत करना, वह कभी किसी को बेवज़ह कष्ट नहीं देता। हमारे अपने पिछले जन्म के कर्म के अनुसार वह हमें फल देता है।


हमारे हाथ मे मात्र कर्म है, फल हम तय नहीं कर सकते।

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