Monday, 11 July 2022

कभी सोचा है... एक ही परिस्थिति में, कोई क्यों संवर जाता है, कोई क्यों टूटकर बिखर जाता है?

 कभी सोचा है...

एक ही परिस्थिति में,

कोई क्यों संवर जाता है,

कोई क्यों टूटकर बिखर जाता है?


कभी सोचा है..

ऐसा क्यों होता है?

कोई क्यों सतत आगे बढ़ता रहता है..

तो कोई क्यों किस्मत का रोना रोता रहता है...


बदतर से भी,

कोई कुछ बेहतर निकाल लेता है,

समस्याओं में से भी,

कोई कुछ अवसर निकाल लेता है,


कांटों से भी,

कोई कुछ उपयोगी बना लेता है,

तूफ़ानों में भी,

कोई मंजिल ढूँढ़ लेता है...


विचारोगे तो पाओगे कि...

परिस्थिति तो सबके लिए,

एक जैसी ही होती है,

मनःस्थिति ही सबकी,

अलग अलग होती है...


परिस्थिति तो..

अवसरों से आधी ग्लास भरी है,

और आधी ग्लास ख़ाली है,

सकारात्मक मनःस्थिति वाले की नज़र,

आधे भरे की ओर है..

किस्मत का रोना रोने वाले की नज़र,

आधे ख़ाली की ओर है..


अब समझे..

क्यों एक ही परिस्थिति में,

कोई संवर जाता है,

कोई टूटकर बिखर जाता है..

कोई क्यों विपत्ति में भी अवसर ढूँढ़ लेता है,

कोई क्यों विपत्ति में रोना रोता रहता है...


युगऋषि कहते हैं..

सफल होना है तो मनःस्थिति बदलो,

जीवन के प्रति दृष्टिकोण ठीक रखो,

स्वयं से पूँछो?

मैं अभी क्या हूँ? कहाँ हूँ?

मुझे क्या बनना है? कहाँ पहुंचना है?

मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है?

मुझे उस तक पहुंचने के लिए क्या करना है?

कैसे करना है? योजना क्या है?

इन प्रश्नों का उत्तर तलाशो,

लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा लो...



🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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