Saturday 23 July 2022

कविता - खोज नहीं बस बोध जरूरी है

 कविता - खोज नहीं बस बोध जरूरी है


जल के अंदर मछली, 

मछली के अंदर जल है,

हवा के अंदर इंसान,

इंसान के अंदर हवा है,

ब्रह्म के अंदर जीव,

जीव के अंदर ब्रह्म है...


मछली को

जल ढूंढने की जरूरत नहीं है,

बस जल को पहचानना है,

जल की खोज नहीं बस बोध करना है,

इंसान को,

हवा ढूंढने की जरूरत नहीं है,

बस हवा को पहचानना है,

हवा की खोज नहीं बस बोध करना है,

जीवात्मा मानव को,

ब्रह्म ईश्वर को ढूढ़ने की जरूरत नहीं है,

बस उन्हें जानना-पहचानना है,

ब्रह्म की खोज नहीं बस बोध करना है।


💐श्वेता, DIYA

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