मन बच्चा है, उसे बकबक व शैतानी करने की आदत है।
बच्चा शैतानी करे तो माँ केवल उसे देखे व उसे अहसास कराए कि वह देख रही है, प्रश्न पूँछे यह शैतानी क्यों? बच्चा सम्हल जाता है। मां उसे कोई दूसरा कार्य देती है।
ऐसे ही मन को जब देखेंगे, तब मन सतर्क हो जाता है व बकवास बन्द कर देता है,मन से पूँछे जिस विचार को सोच रहे हो क्या वह सत्य है उसका कोई प्रमाण तुम्हारे पास है? इस विचार से क्या मेरा भला है? किसी का भी भला है? यदि नहीं तो छोड़ दो...
मन को कोई दूसरा विचार सोचने को दे दें। कोई कार्य दे दें।
होशपूर्वक जियें, मन की निगरानी करें व बुद्धिप्रयोग से मन मे विचार के असली कारण भावनाओ को सम्हालें।
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