Wednesday, 10 August 2022

कविता - सुख-दुःख पर जोर नहीं

 सुख वह पल है,

जिसे दिल पाना चाहे,

पर वह बड़ी जल्दी चला जाये...


दुःख वह पल है,

जिससे दिल कभी न चाहे,

वह जीवन में यूं ही चला आये...


हमारे चाहने से,

न दुःख जाता है,

न सुख आता है..


हमारे न चाहने पर,

न सुख ठहरता है,

न दुःख सिमटता है...


जब जिस पर हमारा ज़ोर नहीं,

उसके बारे में क्या सोचना व क्यों सोचना?

कहती है 'श्वेता' हे मन!

सुख व दुःख में सदा एकरस रहना,

जीवन जीने की कला सीखते रहना,

हर पल को बस जी भर जीना,

हर पल में गाते गुनगुनाते रहना...


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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